शनिवार, 7 अप्रैल 2018

आंदोलन का उद्देश्य वर्ग हितों की रक्षा था, न कि मोदी विरोधियों का समर्थन


डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
   2 अप्रैल को देश में एससी एसटी एक्ट अत्याचार निरोधक कानून के बारे में  20 मार्च को  सुप्रीम कोर्ट के दिए गए आदेश के विरोध में जब दलित वर्ग के आंदोलनकर्ता सड़कों पर उतरे तब तक किसी को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि इसमें हिंसा को स्थान मिलेगा. लेकिन जैसे-जैसे यह आंदोलन आगे बढ़ता गया हिंसा और आगजनी की खबरें प्रमुख बनती गईं. धीरे-धीरे आंदोलन के पीछे की हिंसा के मंतव्य भी समझ में आने लगे. देश के एससी एसटी  वर्ग का यह आंदोलन ऐसे बदनुमा दाग छोड़ कर गया जिसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी. राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित लगभग 10 राज्यों में 10 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही इस आंदोलन की हिंसा की सबसे ज्यादा तीव्रता भाजपा शासित राज्यों में रही. जगह जगह