मंगलवार, 24 जुलाई 2018

राहुल ने जितने अंक अर्जित किए उससे कई गुना खो दिए

                 डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि समूचा विपक्ष राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को स्वीकार कर ले वह इसलिए कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी है, इसलिए कि कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता भी यही चाहते हैं. लेकिन विपक्षी दलों में ना कोई हड़बड़ाहट है और ना नेतृत्व के लिए राहुल को स्वीकार करने की मजबूरी. जिस कांग्रेस के पास पूरे देश में आज मात्र मिजोरम, पंजाब, कर्नाटक तथा मेघालय राज्य ही बचे हैं और जिस का जनाधार सिकुड़कर पतले से भी पतला हो गया है, और जब कि क्षेत्रीय दलों को 2019  में अपनी संभावनाएं ज्यादा नजर आ रही हों तब समूचा विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार करने में क्यों रुचि दिखाएगा ?

सोमवार, 9 जुलाई 2018

विपक्ष झूठ को सौ बार बोल कर सच बनाना चाहता है.

                  डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
2019 के चुनावों को अब लगभग 10 महीने शेष हैं. मोदी विरोधियों में सत्ता पाने की इतनी बेसब्री है जो आज से पहले कभी नहीं देखी गई होगी. देशभर में कांग्रेस समेत सारे विपक्षी दल एनकेन प्रकारेण लगातार मोदी विरोध में नए-नए शगूफे छोड़ रहे हैं. 4 साल सत्ता से बाहर रहने के बाद इन्हें लगने लगा है कि मोदी का मुकाबला करने के लिए जनता को भ्रमित किया जाना आवश्यक है. यही कारण है कि ये लगातार दलितों पर अत्याचार, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, अल्पसंख्यकों में भय, अघोषित आपातकाल, कालाधन, देशभर में किसानों के साथ नाइंसाफी जैसे भ्रमित करने वाले मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं. यही नहीं कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों का हर नेता चीख चीख कर अपने विरोधी एजेंडे को प्रस्तुत कर रहा है. सूत्र एक ही है आक्रामक होकर झूठ बोलो जिससे जनता में यह संदेश जाए कि मोदी ने अपने 4 साल के शासन काल में देश को बर्बाद कर दिया.