गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

 

                              वैक्सीन ही बचा सकता है कोरोना संक्रमण की घातकता से 

                                                डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया 

          कोरोना महामारी आज के हालातों में सबसे बड़ी त्रासदी है। इसकी दूसरी लहर ने भारत के आम नागरिकों को संकट में डाल दिया है। आज आम आदमी में मृत्यु का भय व्याप्त है। भारत में पिछले तीन सप्ताहों से रिकॉर्ड पॉजिटिव केस आ रहे हैं। देश में गुरुवार को पिछले 24 घंटों में 3.14 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए जो कोरोनावायरस का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। वहीं 1 दिन में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2100 से अधिक हो गई। इन दोनों आंकडोँ  ने स्पष्ट किया है कि हालात बेहद चिंताजनक हैं।  देश के महाराष्ट्र, यूपी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे राज्य कोरोना की इस लहर से बहुत अधिक प्रभावित हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के अनुसार देश के 146 जिलों में स्थितियां बहुत गंभीर हैं जहां संक्रमण की दर 15% है। स्थितियों की भयावहता इससे समझी जा सकती है कि अस्पताल में बैड कम पड़ रहे हैं। जीवन रक्षक दवाइयों की मारामारी है। ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था का अभाव है और गंभीर मरीजों की संख्या बहुत अधिक है।

     वैज्ञानिकों का मानना है कि संक्रमण की इस घातकता से वैक्सीन ही लोगों को बचा सकता है। किन्तु  बावजूद इसके कि केंद्र सरकार ने सरकारी अस्पतालों और टीकाकरण केंद्रों से निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराई, लोगों में वैक्सीन लगवाने के प्रति उदासीनता देखी गई। यह वास्तव में बेहद चिंताजनक स्थिति ही कही जाएगी। वस्तुतः वैक्सीन के बारे में कांग्रेस, सपा, एआईएमआईएम और मोदी विरोधी अन्य राजनीतिक पार्टियों ने इतना भ्रम फैलाया कि लोगों में साइड इफेक्ट होने का डर व्याप गया। दूसरी तरफ कांग्रेस के बड़े  राजनेताओं ने कहा कि सरकार को कोवैक्सीन की जगह आम लोगों को कोवीशील्ड लगवाना चाहिए क्योंकि कोवीशील्ड ज्यादा सुरक्षित है, तो किसी ने कहा कि वैक्सीन के लगवाने से लोग नपुंसक हो सकते हैं। किसी ने कहा मोदी अपने वोटों की संख्या बढ़ा रहे हैं। अखिलेश यादव ने कहा यह भाजपा वैसीं है मैं नहीं लगवाऊंगा (अभी वे लगवा चुके हैं।)वस्तुतः किसी ने इसे मोदी वैक्सीन का नाम ही दे दिया। कितनी हास्यास्पद बात है कि जीवन रक्षक वैक्सीन के संदर्भ में विपक्षियों ने मनगढ़ंत बातें कर लोगों को भ्रमित किया जबकि आज की स्थिति में वैक्सीन ही संजीवनी बनकर लोगों की जान की सुरक्षा कर रही है।           

     वर्तमान में भारत में 60 साल से ऊपर आयु के लगभग 10 करोड़ वरिष्ठ नागरिक हैं। सरकार ने कोरोना फ्रंटलाईन वर्कर्स और कोरोना वारियर  के बाद वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता देते हुए निशुल्क वैक्सीनेशन हेतु आमंत्रित किया था। सरकार के इस संवेदनशील निर्णय के बाद भी लगभग आधे वरिष्ठ नागरिकों ने टीका लगवाने में रुचि नहीं दिखाई जो चिंताजनक है। कितनी विडंबना है कि जो लोग भारत की स्वदेशी वैक्सीन को ज्यादा असरदार नहीं मान रहे थे उन्हें अब समझ में आ गया होगा कि भारत की स्वदेशी कोवैक्सीन सबसे ज्यादा असरदार साबित हुई है।  दुनिया भर में भारत आज सबसे कम समय में 10 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करने में सबसे तेज गति वाला देश है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया कोवैक्सीन, वायरस के मल्टीवेरिएंट और डबल म्यूटेंट के विरुद्ध भी असरदार है। निश्चित ही जिन लोगों ने यह वैक्सीनेशन लगवाया है वे कोरोनावायरस के नए प्रारूपों से भी अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं। 

     अगर वैक्सीनेशन के आंकड़ों को समग्र रूप में देखें तो भारत में कुल 10 करोड़ 96 लाख 59 हजार 181 लोगों को पहली डोज दी गई है जिसमें से अब तक 21353 लोग ही संक्रमित हुए जो कुल वैक्सीनेटेड लोगों का मात्र 0.02 प्रतिशत है अर्थात 10000 में मात्र 2 लोग संक्रमित हुए। इसी तरह देश भर में अब तक 1करोड़ 74लाख 69हजार 932 लोगों को दोनों डोज दी जा चुकी हैं। इनमें से केवल 5709 लोगों में ही संक्रमण पाया गया जो 0.3 प्रतिशत है अर्थात 10000 में मात्र 3 लोग संक्रमित हुए। इस प्रकार आज की स्थिति में अब तक कुल 12 करोड़ 71लाख 29 हजार लोगों को वैक्सीन दी गई है, जिनमें से मात्र 27062 लोग ही संक्रमित हुए जिनका प्रतिशत मात्र 0.2 है अर्थात 10000 में से 2 लोग ही ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन अर्थात वैक्सीन के बाद संक्रमित हुए हैं।

     निसंदेह भारत निर्मित दोनों वैक्सीन पूर्णता सुरक्षित और निरापद हैं। वस्तुत: इन दोनों वैक्सीन को लगवाने में लोगों को जरा भी हिचक नहीं होना चाहिए। आज की स्थिति में महामारी की दूसरी लहर की मार देश के सभी आयु वर्ग पर पड़ रही है। किंतु इस लहर में सर्वाधिक संख्या उन युवाओं की है जो अपरिहार्य कारणों से घर के बाहर जाने के लिए मजबूर हैं। इन युवाओं को जहां एक ओर आजीविका हेतु बाहर जाना होता है तो उन्हें घर की आवश्यकताओं की पूर्ति और अपने वरिष्ठ परिवार सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी जाना होता है। ऐसे में सरकार का 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को नए चरण में टीकाकरण की योजना स्वागत योग्य है। सरकार का यह भी सही निर्णय है कि अब राज्य सरकारें और प्राइवेट अस्पताल कुल उत्पादित वैक्सीन का आधा भाग सीधे खरीद सकेंगे और शेष आधा केंद्र सरकार के पास जाएगा। यह व्यवस्था जहां एक ओर राजनीतिक वितन्डावाद पर रोक लगाएगी वहीं दूसरी ओर टीकाकरण की गति में भी वृद्धि करेगी। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने वैक्सीन कोविशिल्ड को राज्यों और निजी अस्पतालों को बेचने के दामों की घोषणा कर दी है जिसके अनुसार वह राज्यों को वैक्सीन का एक डोज 400 रु में और निजी अस्पतालों को एक डोज 600 रु में देगा। लेकिन जहां एक ओर देश में युवाओं की संख्या बहुत अधिक है वहीं दूसरी ओर सभी युवा आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं ऐसी स्थिति में राज्य सरकारों को सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके राज्य के सभी युवाओं को वैक्सीन निशुल्क लगाई जाए। वैक्सीन की कीमत पर सोनू सूद की बात ज्यादा उचित लगती है जिसमें उन्होंने कहा कि कारपोरेटस और हर वह व्यक्ति जो अफोर्ड कर सकता है उसे आगे आकर सभी को वैक्सीनेशन कराने में मदद करना चाहिए। धंधा तो कभी और कर लेंगे। सोनू सूद आज देश की ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने कोरोना के प्रारंभिक भयावह दौर में जब देश में दीर्घ अवधि का लॉकडाउन लगा था, तमाम प्रवासी मजदूरों को अपने खर्चे से उनके घर पहुंचाया था।

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