विपक्ष की राजनीति पर
भारी राष्ट्रवाद
डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
वर्तमान चुनाव कई मामलों में 2014
के चुनावों से
पूरी तरह अलग दिखाई दे रहे हैं. जहां एक ओर पिछले चुनावों में सत्ताधारी दल
कांग्रेस के भ्रष्टाचार के घोटाले और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति पर मोदी का ‘सबका
साथ सबका विकास’ का मूल मंत्र भारी पड़ा था वहीँ इस चुनाव में विपक्षियों की मोदी
को हटाने के लिए अघोषित एकजुटता पर मोदी के राष्ट्रवाद की खनक और दुश्मन देश
पाकिस्तान पर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक की बढ़त भारी पड़ रही है. यह चुनाव यह
स्पष्ट करेगा कि भारत की जनता विकास के साथ-साथ क्या पाक प्रायोजित आतंकवाद के
खिलाफ मोदी के कठोर प्रहारों के पक्ष में खड़ी होकर राष्ट्रवाद को महत्वपूर्ण
मानती है.
विपक्ष कुछ भी कहे किंतु यह बात
स्पष्ट होती जा रही है कि भारत की जनता देश की सुरक्षा और देश के गौरव के साथ खड़ी
होने में ज्यादा रुचि रखती है. इसमें कोई शक नहीं कि मोदी सरकार ने विगत 5
वर्षों में कुछ
ऐसा तो किया है जो जनता को प्रभावित कर रहा है. मोदी सरकार ने कुछ ऐसे काम
प्राथमिकता के आधार पर पूरे किए हैं जिनकी कल्पना ना तो विपक्षी दलों ने की थी और
ना जनता ने ही की थी. देश भर में स्वच्छता मिशन, टॉयलेट निर्माण, प्रधानमंत्री
आवास योजना, उज्जवला योजना और 18000 गांव में बिजली पहुंचाने के कामों ने प्रधानमंत्री मोदी को चर्चित किया है. ये ऐसी
योजनाएं रहीं जिन्होंने जन जन की जुबान पर मोदी के नाम को चस्पा किया जबकि यूपीए
के 10
साल के शासन में
ऐसी कोई कल्याणकारी योजना आकार नहीं ले पाई जिससे आम जनता कांग्रेस को याद रख पाती.
इस दौर में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जनता की जुबान
पर चस्पा नहीं हो सके. नेतृत्व की अक्षमता और आतंकवाद के मुद्दे पर विपक्ष की
ढुलमुल नीति ने आम जनता में यूपीए सरकार को लचर सिद्ध करने का काम किया. यूपीए के 10
सालों में देश
भर में घटित आतंकी घटनाओं ने देश की जनता को यह सोचने को मजबूर कर दिया कि उसे एक
सशक्त सरकार चाहिए या एक ऐसी सरकार जिसने देश की सुरक्षा के मुद्दों पर चुप्पी साध
रखी थी.
2014 में मोदी के भाषणों पर गौर करें तो स्पष्ट
होता है कि उन्होंने हर वह मुद्दे जनता के सामने रखे थे जिन से जनता परेशान थी.
आतंकवाद का मुद्दा हो या देश के विकास से जुड़े मुद्दे हों सब के सब जनता में मोदी
के प्रति आकर्षण का केंद्र बने थे. निसंदेह वर्तमान लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद और
उसके विरुद्ध विपक्षी दलों की मोदी हटाओ मुहिम के बीच लड़ा जा रहा है. जनता के मन
में यह विश्वास गहरे तक बैठ गया है कि विपक्षी दल विकास, आतंकवाद, देश की सुरक्षा
और गौरव के मुद्दों पर ज्यादा फोकस ना कर केवल मोदी को हटाने पर केंद्रित हो गए
हैं. इन मुद्दों पर विपक्ष के पास कोई रोडमैप नहीं है और ना कोई विजन ही है. इससे
जो संदेश गया वह यही कि विपक्षी दलों में अपने अस्तित्व की रक्षा ज्यादा
महत्वपूर्ण है ना कि देश. यही मोदी के दोबारा सत्ता में वापसी का मार्ग प्रशस्त कर
रहा है.
विपक्ष खासतौर से कांग्रेस मोदी को
राफेल मामले में दोषी साबित करने में जी जान से जुटी रही है लेकिन उसके ‘चौकीदार
चोर है’ के नारे ने जनता के मन में यह विश्वास पैदा किया कि सत्ता की वापसी के लिए
मोदी को भ्रष्टाचारी बताया जा रहा है जबकि मोदी सरकार के 5
सालों में कोई
घोटाला अब तक नहीं हुआ. इस चुनाव में मोदी की बढ़त इसलिए भी महसूस की जा रही है कि
जहां एक ओर यूपीए के 10 साल के शासन में देश भर में आतंकी घटनाओं ने
जनता को हलकान किया वहीं मोदी सरकार के 5 सालों में जम्मू कश्मीर को छोड़कर देश के
किसी भी कोने में एक भी आतंकी घटना नहीं घटी, जिसे मोदी की सबसे बड़ी सफलता के रूप
में देखा जा सकता है. यही नहीं बालाकोट की एयर स्ट्राइक ने जनता के मन में यह
विश्वास पैदा करने में सफलता अर्जित की कि मोदी के रहते कुटिल पाकिस्तान किसी तरह
की हिमाकत नहीं कर सकता और यदि करेगा तो उसे उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. वहीं दूसरी
ओर अगर गौर करें तो स्पष्ट होता है कि आज मोदी की आलोचना करने के लिए विपक्ष के
पास कोई गंभीर मुद्दे हैं ही नहीं. सामान्यतः पिछले चुनाव में महंगाई, महिला
सुरक्षा, बेरोजगारी, काला धन, भ्रष्टाचार और दलितों पर अत्याचार जैसे जनता को
प्रभावित करने वाले मुद्दे थे लेकिन इस चुनाव में विपक्ष द्वारा इन मुद्दों पर
ज्यादा कुछ कहने को बचा नहीं है. गाहे-बगाहे विपक्षी दल इन मुद्दों पर केंद्रित
होने की कोशिश करते भी हैं तो उसके सामने राष्ट्रवाद आकर खड़ा हो जाता है. अगर गौर
से देखा जाए तो महंगाई जैसा मुद्दा आज पूरी तरह से अप्रभावी है क्योंकि मोदी सरकार
ने इस पर पूरी तरह से नियंत्रण कर के रखा है. दूसरी तरफ मोदी ने अंतरराष्ट्रीय जगत में
भारत को सम्मान दिलाने में जो सफलता अर्जित की उसने भी जनता को प्रभावित किया है.
आज विश्व का शायद ही कोई देश हो जो भारत की उपलब्धियों से परिचित ना हो. मोदी के
विगत 5
सालों में केवल
चीन और पाकिस्तान को छोड़ विश्व का हर देश भारत की नीतियों और विजन से प्रभावित
हुआ है. भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक आतंकवाद के
खिलाफ मोदी की मुहिम ने भारत को दुनिया में एक नया मुकाम दिलाया है. यही नहीं भारत
की जनता इस बात से भी अत्यधिक प्रभावित दिखाई देती है कि मोदी ने बिना युद्ध लडे ही
पाकिस्तान को भिखारी बना दिया तो वहीं दूसरी ओर जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं पर
जीरो टॉलरेंस की नीति और अलगाववादी राष्ट्र द्रोहियों पर कठोर कार्यवाही ने भी
मोदी को लोकप्रियता दिलाने में सफलता अर्जित की है. यद्धपि समूचा विपक्ष जी जान से
मोदी को सत्ता से अलग करना चाहता है लेकिन एकजुट होने में नाकाम होना भी मोदी के
लिए आसान हो गया. कांग्रेस की 10 सालों की नकारात्मक छवि ने दूसरे दलों को
कांग्रेस से दूरी बनाए रखने में मदद की. उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में बसपा और सपा
जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने भी कांग्रेस से गठबंधन करने से इंकार कर दिया जो
कांग्रेस के लिए शर्मनाक स्थिति का कारण बना तो वहीँ जनता में संदेश गया कि
कांग्रेस को विपक्षी पार्टियां भी पसंद नहीं करती. वहीं विगत 1
महीने में मोदी
ने रक्षा के क्षेत्र में जो उपलब्धियां अर्जित की वह भी जनता में मोदी की अच्छी
छवि बनाने में प्रभावी रहीं. यद्धपि चुनाव परिणाम 23 मई को आएंगे किंतु प्रतीत यही होता है कि
बिखरा हुआ विपक्ष कोई बड़ी उपलब्धि या सफलता अर्जित करने में कामयाब नहीं हो सकेगा
जो मोदी को दूसरी बार सत्ता वापसी में मददगार साबित होगा.