डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
धर्म आधारित दर्शन मानवमात्र के लिए मार्गदर्शी होने के साथ वर्तमान समस्याओं के निराकरण में न केवल
उपयोगी है बल्कि जीवन को ऐसी नई दिशा की ओर ले जा सकता है जहां व्यक्ति शोक, चिंता,
क्लेश, राग और द्वेष आदि से मुक्त हो सकता है. किन्तु वर्तमान जीवन शैली में धर्म
के मर्म का कोई स्थान नहीं है ऐसा प्रतीत होता है. यूँ बाह्य रूप से ये दिखाई दे
रहा है कि सभी धर्मों के अनुयायी अपने अपने धर्म के प्रति आज ज्यादा संवेदनशील हैं
किन्तु यह संवेदनशीलता बहुत हद तक दूसरे के धर्म से अपने धर्म को श्रेष्ठ साबित
करने भर तक की है. इसका एक कारण जो प्रतीत होता है वह राजनैतिक लाभ के लिए
राजनीतिक दलों की खेमेबाजी भी है तो दूसरा कारण देश की धर्म निरपेक्षता की अवधारणा
है जिसने पूरे देश को धर्म के आधार पर बाँटने का काम किया है (क्या ही अच्छा होता
कि धर्मनिरपेक्षता के स्थान पर ‘सर्व धर्म समभाव’ का उपयोग किया जाता). कुछ
राजनीतिक दल धर्मनिरपेक्षता के आधार पर किसी धर्म विशेष को अपने