चौकीदार चोर और मोदी हटाओ ही विपक्ष पर भारी
पड़ा दिख रहा है
डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
आखिरकार वह दिन आने वाला है जब विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में कौन
सरकार बनाएगा निश्चित होगा. क्या मोदी फिर एक बार सरकार बनाएंगे या विपक्ष मोदी पर
भारी पड़ेगा. सारे एग्जिट पोल से तो यही प्रतीत होता है कि ‘फिर एक बार मोदी सरकार’
को इतना जन समर्थन प्राप्त हुआ है कि एनडीए आसानी से सरकार बना सकेगी किंतु इन
अनुमानों को परिणाम मानना उचित नहीं है. जब तक परिणाम नहीं आते देश के सारे
राजनीतिक दल अपने अपने अनुमानों बताते रहेंगे. यह इसलिए भी कि 2017
में जब लगभग सभी
एग्जिट पोल उत्तर प्रदेश में गैर भाजपा की सरकार बनवा रहे थे तब भाजपा ने 300
से अधिक सीटें
जीतकर अखिलेश, मायावती और कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था. स्वाभाविक है इन
एग्जिट पोल के परिणामों पर विपक्ष की सोच ऐसी ही होगी कि यह पोल जैसे रुझान बता
रहे हैं वह शायद परिणामों में ना दिखें.
अब बात करते हैं कि वर्तमान एग्जिट
पोल के रुझानों के अनुरूप यदि परिणाम आते हैं तो उसके पीछे के कारण क्या हैं. क्या
वाकई मोदी का जादू बरकरार है. क्या मोदी के विकास कार्यों को जनता ने पसंद किया.
क्या मोदी के नोटबंदी और जीएसटी जैसे कठोर निर्णयों को जनता ने तमाम आलोचनाओं के
बाद भी पसंद किया. क्या जनता ने मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा में उठाए गए कड़े कदमों
को पसंद किया. स्वाभाविक है मोदी विरोधी इन प्रश्नों के हमेशा विपरीत मत के रहे
हैं. वे मोदी के प्रत्येक काम की आलोचना करते रहे हैं. तो क्या इन आलोचनाओं को
जनता ने नकार दिया. अगर वाकई मोदी दोबारा सत्ता में आते हैं तो
एक बात साफ है कि विपक्ष ने मोदी को गालियां ज्यादा दीं जिसका परिणाम उन्हें
भुगतना पड़ सकता है. जब सारे देश में मोदी एक विकास के सिंबल माने गए तब ‘चौकीदार
चोर है’ का नारा विपक्ष को बूमरैंग होता दिखाई देता है. अगर सामान्य जन से बात की
जाए तो वह इस मत का दिखेगा कि मोदी और कुछ भी हो सकते हैं किंतु चोर नहीं हो सकते.
उनकी ईमानदारी पर उंगली नहीं उठाई जा सकती. हमारे देश की परंपराएं और मान्यताएं इस
बात को स्थापित करती हैं कि जो व्यक्ति पारिवारिक माया मोह से परे है वह व्यक्ति
सेवा के क्षेत्र में अनुपम होता है. जिस व्यक्ति का चिंतन समूचे देश को अपना
परिवार मानने का हो वह व्यक्ति कभी बेईमान नहीं हो सकता. वह व्यक्ति चोरी क्यों और
किसके लिए करेगा. यह तो पूरी तरह से स्पष्ट है कि मोदी की ना तो करोड़ों की
संपत्ति है और ना ही ऐसी कोई परिजन आसक्ति ही है कि वह देश के साथ बेईमानी करें.
तब विपक्ष का ‘चौकीदार चोर है’ का नारा जनता में मोदी के प्रति नकारात्मक प्रचार
से भरा हुआ माना गया होगा. अगर राफेल को लेकर इतना बड़ा आरोप लगाया ही गया था तो
विपक्ष की यह जिम्मेदारी बनती थी कि वह जनता के सामने ठोस प्रमाण रखती. सिर्फ
हवाबाजी को जनता किस आधार पर तवज्जो देती. फिर राफेल मामले में संसद में रक्षा
मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्री अरुण जेटली जैसे दिग्गजों ने सिलसिलेवार
तरीके से विपक्ष के आरोपों पर कटाक्ष किए तब भी विपक्ष कोई ठोस प्रमाण देने में
असमर्थ रहा तो फिर जनता में यही संदेश गया कि विपक्ष मुद्दा विहीन होकर मोदी की
इमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगा कर चुनाव जीतना चाहता है जिसे एग्जिट पोल के नतीजों
में देखा जा सकता है.
दूसरी ओर विपक्ष का मोदी हटाओ एजेंडा
भी उसी पर भारी पड़ गया. वस्तुतः आज के संदर्भों में दलों के सोचने का जनता पर
उतना प्रभाव नहीं पड़ता जितना कि जनता क्या सोचती है का प्रभाव दलों पर पड़ता है.
वस्तुतः जितने ज्यादा जोर से मोदी हटाओ को प्रचारित किया गया वह मोदी के लिए
लाभदायक ही सिद्ध हुआ. जनता में यह संदेश गया कि विपक्ष सत्ता की लालची है, उसके
पास जनकल्याण के मुद्दे नहीं है बल्कि विपक्ष का एकमात्र एजेंडा यही है कि वह किसी
भी हालत में मोदी को आने नहीं देना चाहता. मोदी की एक विशेषता 2014
से देखने को
मिलती रही कि वह विपक्ष के हमलों को बखूबी तरीके से अपने पक्ष में बदलने में
सिद्धहस्त हैं. यही कारण है कि उन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ को ‘मैं भी चौकीदार’ में
कन्वर्ट कर दिया और उसका परिणाम यह हुआ कि ‘चौकीदार चोर है’ के नारे की हवा निकल
गई.
अब यदि उन मुद्दों पर विचार करें
जिन्हें मैंने प्रारंभ में उठाए हैं तो निष्कर्ष रूप में एग्जिट पोल के नतीजों से
लगता है कि मोदी का जादू वाकई बरकरार है. यदि ऐसा नहीं होता तो 300
पार का अनुमान संभव नहीं था. दूसरी बात विपक्ष
कितनी भी आलोचना करे लेकिन मोदी ने विकास कार्यों और गरीब तबकों को ज्यादा महत्व
दिया है. इसी क्रम में सामान्य जातियों को 10% आरक्षण, स्वच्छता मिशन, जनधन अकाउंट,
प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत, स्टार्टअप इंडिया और मेक इन
इंडिया जैसी योजनाएं विकास की इबारत लिखने में सफल रहीं. तो वहीं दूसरी ओर 18000
गांव को बिजली
और सड़क जैसे कल्याणकारी कामों ने जनता में एक सकारात्मक भाव उत्पन्न किया.
इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में 5 साल की अल्प अवधि में जो परिवर्तन हुए वे
निसंदेह उल्लेखनीय हैं. इन सब के आधार पर एग्जिट पोल में एनडीए की बढ़त स्वाभाविक
लगती है. यहां इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि विरोधी इन विकास
कार्यों को झूठा साबित करने में नाकामयाब रहे. भले ही विपक्ष चिल्ला चिल्ला कर यह
कहता रहा कि देश में विकास कार्य ठप्प रहे लेकिन अगर यही परिणाम रहते हैं तो कहा
जा सकता है की जनता ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया. दूसरी तरफ नोटबंदी और
जीएसटी जैसे निर्णायक फैसलों पर जनता भले ही नाराज (जैसा कि विपक्ष मूल्यांकन करता
है) दिखाई दी परंतु मोदी पर उसका विश्वास बरकरार रहा प्रतीत होता है. एक बहुत बड़ा
मुद्दा देश की सुरक्षा और राष्ट्रवाद का रहा. अगर ये रुझान परिणामों में तब्दील
होते हैं तो कहा जा सकता है कि इन दोनों मुद्दों पर भाजपा विपक्ष पर हावी रही.
सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक दोनों ही मोदी के पक्ष में रहे दिखते हैं तो
वहीं इन कार्र्बाइयों पर विपक्ष का सबूत मांगना उसी के लिए गले की हड्डी बन गया. कुल
मिलाकर जनता ने देश की सुरक्षा और राष्ट्रवाद पर मोदी को शत प्रतिशत सही माना.
दूसरे शब्दों में देश ने माना कि राष्ट्र मोदी के हाथों में सुरक्षित है. वहीँ देश
की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने विकास का ना तो कोई विजन प्रस्तुत किया और ना
उसका कोई रोडमैप जनता के समक्ष आ पाया. और ‘अब होगा न्याय’ भी जनता को प्रभावित
करने में असमर्थ रहा प्रतीत होता है. गरीबों को 72000 सालाना की बात
पर गरीब वर्ग विश्वास नहीं कर सका उसका कारण मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान
में कर्ज माफी के क्रियान्वयन में शत-प्रतिशत परिणामों का अभाव रहा. कांग्रेस की 72000
वाली योजना
संदेह के घेरे में रही जिसका लाभ मोदी को मिला. जहां एक ओर मोदी ने जितने जनकल्याण
के वादे किए उनमें शत प्रतिशत सफलता भले ही ना मिली हो किंतु क्रियान्वयन हुआ जो
जनता को सुखद अनुभूति कराने में सफल रहा. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और
उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इस बात का भी असर हुआ कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य
में कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी को सपा बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने भी नकार
दिया और उससे गठबंधन नहीं किया. स्वाभाविक है कि कांग्रेस की प्रतिष्ठा को धक्का
लगा जिसने उसके परिणामों को प्रभावित किया. दूसरी तरफ माहौल कुछ इस तरह का बना कि
मोदी विरोधी दल मुस्लिम वोटों को अपने पाले में मानकर शत-प्रतिशत जीत सुनिश्चित
करना चाहते हैं इस संदेश ने हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण में मदद की. यदि परिणाम भी
एग्जिट पोल के रुझानों के अनुरूप आते हैं तो यह कहा जा सकता है कि फिलहाल जनता
मोदी विरोधियों में मोदी के कद का कोई नेता नहीं देख पा रही है. और अंत में एग्जिट
पोल परिणाम नहीं अनुमान होते हैं वे कितने सही या गलत हैं 23
मई को ही मालूम
पड़ेगा. इतना जरूर है कि जहां एक और एनडीए और भाजपा में खुशी है तो वहीं विरोधियों
में मायूसी है भले ही वे इसे प्रकट नहीं करें.
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