पाक पर निर्णायक कार्रवाई करने में देरी
क्यों ?
डॉ. हरिकृष्ण
बड़ोदिया
इससे बड़ी
विडंबना और क्या हो सकती है कि जब दुनिया के अधिकांश देश कोरोना महामारी से लड़
रहे हैं तब पाकिस्तान भारत में आतंकी गतिविधियों को जारी कर लगातार नियंत्रण रेखा
का उल्लंघन करते हुए आतंकियों की घुसपैठ करा रहा है । ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान
कोरोना महामारी से नहीं जूझ रहा है उसके अधिकांश क्षेत्र जिनमें पंजाब, सिंध, खैबर
पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान, गिलगित, बालटिस्तान, इस्लामाबाद और पाक अधिकृत कश्मीर में
स्थिति बहुत विकट है। यही नहीं कंगाली की हालत यह है कि पाकिस्तान में कोरोना से
लड़ रहे डॉक्टरों के पास प्राथमिक संसाधन भी नहीं है किंतु इस सबके बावजूद
पाकिस्तान भारत में आतंकी गतिविधियां नियमित रूप से जारी किए हुए है।
इस मई के महीने में 2
तारीख को जम्मू
कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों ने एक घर में लोगों को बंधक बना लिया था उनको
छुड़ाने के लिए सेना ने एनकाउंटर किया । इस एनकाउंटर में यद्यपि रहवासियों को बचा
लिया गया किंतु सेना के एक कर्नल, एक मेजर, दो आर्मी जवान तथा एक जेके पुलिस के
जवान शहीद हो गए । हालांकि इस मुठभेड़ में दो आतंकी भी ढेर किए गए । वहीं 4
मई को पाक
आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सीआरपीएफ की पेट्रोलिंग टीम पर हमला किया। 24
घंटे में
आतंकियों ने इस दूसरी वारदात को अंजाम दिया था । इस हमले में भी सीआरपीएफ के 3
जवान शहीद हो गए
। इस घटना में दो आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया ।
अगर हम पिछले साल 2019
की बात करें तो
अप्रैल महीने में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में आतंकी घुसपैठ में
सेना के एनकाउंटर में हमारे 5 जवान शहीद हुए थे । इस मुठभेड़ में पांच
आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया था । इसी प्रकार नवंबर 2019
में कुपुवाड़ा
के पंजगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने सेना के कैंप पर हमला किया था जिसमें सेना
ने 3
आतंकवादियों को
मार गिराया था । इसमें सेना के 2 जवान शहीद हुए थे । 1
मार्च 2019
में भी
कुपुवाड़ा के हंदवाड़ा में दो आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया था लेकिन सेना के 4
जवान शहीद हुए
थे ।
अगर हम थोड़ा और पीछे जाएं तो
पाकिस्तान की आतंकी वारदात का सबसे बड़ा आतंकी हमला 18
सितंबर 2016
को जम्मू कश्मीर
के उड़ी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर हुआ था
। इस हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे और कई घायल हुए थे ।
सैन्य बलों की जवाबी कार्रवाई में चार आतंकी मारे गए थे । यह हमला भारतीय सेना पर
सबसे बड़ा हमला था । यह हमला इसलिए बहुत गंभीर था क्योंकि आतंकियों ने सेना
मुख्यालय पर सुबह 5:30 बजे सोते हुए निहत्थे सैनिकों पर ताबड़तोड़
फायरिंग कर अंजाम दिया था । इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था । इस हमले से
सरकार सहित पूरा देश सन्न हो गया था । ऐसा हमला पहले कभी नहीं हुआ था । देश के हर
कोने से सरकार के प्रति इतना रोष भर गया था कि बदला लेने की आवाजें उठने लगी थी ।
इस आतंकी हमले में आतंकियों ने 3 मिनट में 17 हैंड ग्रेनेड फेंके थे । लगातार 6
घंटे की मुठभेड़
के बाद सेना ने सभी 4 आतंकियों को मौत के घाट उतारा था ।
इस हमले ने पाक को सबक सिखाने के
सरकार के इरादे को मजबूती प्रदान की थी । प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं बल्कि
तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने ना केवल पाकिस्तान को चेतावनी दी बल्कि
स्पष्ट कर दिया था कि इस कायराना हरकत का जवाब दिया जाएगा और सेना ने वह काम कर
दिया जो 28- 29 दिसंबर 2016 से पहले कभी नहीं हुआ था । 29 दिसम्बर की इस सर्जिकल
स्ट्राइक में भारतीय सेना के जांबाज सैनिक पाक अधिकृत कश्मीर में 3
किलोमीटर अंदर
घुसकर पाक आतंकी कैंपों को नेस्तनाबूत कर सुरक्षित अपने ठिकाने पर वापस आए थे । यह
सेना की बहुत बड़ी पहली सर्जिकल स्ट्राइक थी ।
दूसरा बड़ा हमला पुलवामा में 14
फरवरी 2019
को हुआ था
जिसमें सेना के 40 जवान शहीद हुए । इस हमले के जवाब में भारत ने
नियंत्रण रेखा के पार जाकर आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला कर सर्जिकल स्ट्राइक की थी ।
26
फरवरी 2019
को भारत ने 40
जवानों की शहीदी
का बदला बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर लिया था इसमें पाकिस्तान के लगभग ढाई सौ
आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया था ।
पाकिस्तान की जिहादी मानसिकता और
आतंकी गतिविधियां कोरोना जैसी भयावह महामारी को दरकिनार कर भी जारी हैं । जब से
कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाई गई है तब से पाकिस्तान ज्यादा बौखला गया
है । उसकी बौखलाहट हाल के दिनों में जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमलों में देखी जा
सकती है । पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जो भीख मांग कर भी आतंकवाद का पोषण करता
रहेगा । वह भारत का चिर परिचित और स्थाई दुश्मन है । इस दुश्मनी का एक ही इलाज है
कि बलूचिस्तान को आजाद कराया जाए और पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लिया जाए । इसके
लिए पाकिस्तान की सेना की कमर तोड़ी जाना आवश्यक है ।
यह सही है कि आज के जम्मू कश्मीर
में पाकिस्तान का प्रभाव कम हुआ है । यही कारण है कि वह ज्यादा से ज्यादा आतंकी
गतिविधियों को बढ़ाना चाहता है । इसमें कोई शक नहीं कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा
बलों ने पाकिस्तानी घुसपैठ और आतंकवाद के विरुद्ध कठोर जवाबी कार्यवाही कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दे
दिया है कि उसे बख्शा नहीं जाएगा किंतु यह इसका हल नहीं है । पाकिस्तान आतंकी
गतिविधियां करता रहे और भारत उसके विरुद्ध जबाबी कार्रवाई करता रहे यह हमारी सेना के लिए उचित नहीं कहा जा
सकता । वैसे भारतीय सेनाकी जांबाजी किसी से छिपी नहीं है । इस महीने के शुरूआत तक
सेना ने पाकिस्तान के 74 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा जबकि सेना
के 22
सैनिक शहीद हुए
और 9
आम नागरिकों की
जानें गई । वर्ष 2019 में भारतीय सेना के 26
जवान शहीद हुए
थे और 14
नागरिक मारे गए
थे वहीँ 54
आतंकियों को
सेना ने मौत के घाट उतारा था ।
इसमें कोई शक नहीं कि आज भारत के
पास मोदी जैसा ग्लोबल छवि का नेता है किंतु पाकिस्तान के खिलाफ अब तक ऐसी कोई
निर्णायक कार्यवाही नहीं हो सकी कि जम्मू कश्मीर पाकिस्तानी आतंकवाद से मुक्त हो
पाता । लगातार आतंकी गतिविधियां हो रही हैं और हम इनकी कड़े शब्दों में निंदा करके
और कठोर कार्यवाही की धमकी देकर पाकिस्तान को सबक नहीं सिखा सकते । हमारी कार्रवाइयों
में निरंतरता की कमी के कारण हर बार पाकिस्तान को संभलने का मौका मिल जाता है और
वह फिर हमले करता है । दो सर्जिकल स्ट्राइकों के बाद भी यदि हमले हो रहे हैं तो
हमें यह समझ लेना चाहिए कि पाकिस्तान का सुधरना नामुमकिन है । उसे किसी बड़ी कार्रवाई के बिना नहीं सुधारा जा सकता
। भारत के थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने पिछले दिनों कहा कि ‘पाकिस्तान
अभी भारत में आतंकवादियों को धकेलने के अपने अदूरदर्शी और तुच्छ एजेंडे पर काम कर
रहा है । जब तक पड़ोसी देश आतंकवाद की अपनी नीति नहीं छोड़ता हम उचित और सटीक जवाब
देते रहेंगे’ । सवाल तो इसी बात का है कि क्या भारत केवल उचित और सटीक जवाब ही
देता रहेगा या कुछ ऐसा बड़ा करेगा जिससे पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए । अब तो
हमारे पास चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में जनरल बिपिन रावत भी हैं । क्या उम्मीद
की जाए कि आने वाले थोड़े समय में ही पाकिस्तान रहम की भीख मांगेगा।
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