हर्ड इम्युनिटी (सामूहिक रोग प्रतिरोधक
क्षमता) दिलाएगी कोरोना से निजात
डॉ.हरिकृष्ण बड़ोदिया
कोरोना महामारी का कहर जारी है। मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या और कम
पड़ती स्वास्थ्य सुविधाएं आम नागरिकों को डराने के लिए काफी हैं। लेकिन डर वही
ज्यादा रहे हैं जो रोज कोरोना मीटर से कोरोना अपडेट देख रहे हैं। अन्यथा तो अनलॉक
की अवधि और क्षेत्र जैसे जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे लोग लापरवाह और निडर होते गए।
बाजार में बढ़ती भीड़, बेख़ौफ़ घूमते लोग, बिना मास्क लगाए घूमते लोग, 2 गज
दूरी के बिना एक दूसरे से झगड़ते, धक्के देते और धक्के खाते लोग, राजनेताओं के आसपास खड़े लोग, चौराहे पर हो रही चुनावी
सभाओं में खड़े लोगों को देखकर ऐसा लगता ही नहीं है कि देश में कोरोना जैसी भयावह
बीमारी है जो किसी व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले ले तो उसका बचना भगवान की कृपा
पर ही निर्भर है। यह हो रहा है और तब तक होता रहेगा जब तक लोग लापरवाही नहीं
छोड़ेंगे। इस लापरवाही का एक दुष्परिणाम यह है कि मरीजों की संख्या रात दिन बढ़ती
जा रही है और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
होती जा रही है। अस्पतालों में बिस्तर की कमी होने लगी है। सरकार ने मरीजों की
कैटेगरी बना दी है। कम गंभीर मरीजों को घर में ही क्वॉरेंटाइन कर उपचार किया जा
रहा है। जो लोग संक्रमित हो रहे हैं वे ज्यादा डर रहे हैं और जो नहीं डर रहे हैं
वे संक्रमितों
की संख्या बढ़ा रहे हैं। यह आज की स्थिति है जो देश के
हर कोने में देखी जा रही है।
रविवार तक भारत में कोरोना
मरीजों की कुल संख्या 60 लाख 74 हजार 703 है। वहीं अब तक मरने वालों
की संख्या 95542 है। चीन के वुहान में दिसंबर 2019 को जब कोरोना वायरस का पहला
प्रकरण आया था तब से आज तक कुल मरीजों की संख्या 85 हजार के लगभग है, जबकि भारत में जब 30 जनवरी 2020 को कोरोना मरीज का पहला प्रकरण आया था
तब से अब तक मरीजों की संख्या 60 लाख से अधिक हो चुकी है और
मरने वालों की संख्या चीन के कुल संक्रमितों की संख्या से अधिक है।
हालांकि दुनिया भर में कोरोना से जंग जीतने वाले भारत में सबसे अधिक हैं। इन लोगों की संख्या
दुनिया में पहले स्थान पर है, कारण स्पष्ट है कि भारत के नागरिकों की
इम्युनिटी विश्व के अन्य देशों के नागरिकों से अधिक है और इसका प्रमुख कारण यहां
के अधिकांश लोगों का शाकाहारी होना है। देश में पिछले 24 घंटों में ठीक हुए लोगों की
संख्या 95 हजार से
अधिक है। भारत में अब तक ठीक हुए लोगों की कुल संख्या 49 लाख से अधिक है। यह रिकवरी
रेट 82 प्रतिशत के
लगभग है। वस्तुतः मरीजों के ठीक होने के मामले में भारत अमेरिका से आगे है जो यह
बताता है कि उपचार सही दिशा में हो रहा है।
आज सबसे खराब स्थिति वाले राज्यों में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है। महाराष्ट्र
में कोरोना संक्रमण के 18056 नए मामले सामने आए हैं जिसके
साथ कुल संक्रमितों की संख्या रविवार तक 13 लाख से अधिक हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अब तक कुल मरने वालों की संख्या 35751 हो गई।महाराष्ट्र के अलावा
आंध्रप्रदेश में 4.55 लाख, तमिलनाडु में 4.39 लाख, कर्नाटक में 3.6 लाख, उत्तर
प्रदेश में 2.4 लाख, दिल्ली में 1.79 लाख, पश्चिम बंगाल में 1.68 लाख, बिहार में 1.4 लाख, तेलंगाना
में 1.33 लाख
असम में 1.5 लाख
और उड़ीसा में 1.09 लाख संक्रमित हैं। इस प्रकार
अब तक 11 राज्यों
में संक्रमितों की संख्या एक लाख का आंकड़ा
पार कर चुकी है और बारहवां राज्य गुजरात होने जा रहा है
जहां अब तक 99 हजार मामले
आ चुके हैं।
मध्यप्रदेश में अब तक
संक्रमित लोगों की संख्या 1 लाख से
अधिक हो
गई है। स्वस्थ होने वालों की संख्या 1 लाख से
अधिक है जिसका प्रतिशत 80 है।
मरने वालों की प्रदेश में संख्या 2242 है। वस्तुतः यह एक उल्लेखनीय बात है कि
मार्च में मरने वालों का प्रतिशत 7 था जो अब घटकर 1.4 प्रतिशत हो गया है। इस प्रतिशत से दो बातें संभावित है, एक तो यह कि या तो कोरोना की घातकता कम हो गई हो सकती है
या दूसरी यह कि उपचार सही दिशा में हो रहा है। पिछले दिनों एक संक्रमण से ठीक हुए
मरीज से बात करने पर जानने को मिला कि उन्हें जब सूंघने में लगा कि कुछ अनुभव नहीं
हो रहा तो स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच करवाई। तत्काल पद्धति से उन्हें
कोरोना पॉजिटिव बताया गया। ऐसी स्थिति में उन्हें जिला चिकित्सालय लाकर कोविड केंद्र पर भर्ती किया गया।
उपचार के रूप में उन्हें देसी काढा, विटामिन की गोलियां और पेरासिटामोल दिया गया।
नियमित 10 दिन
के उपचार के बाद उनका टेस्ट नेगेटिव आया और उन्हें डिस्चार्ज किया गया। उन्होंने
यह भी बताया कि उन्हीं के सामने एक पेशेंट की मृत्यु भी हुई। एक महत्वपूर्ण बात यह
बताई कि मास्क लगवाने और डिस्टेंसिंग के
पालन में कठोरता बढ़ती गई। साथ ही प्राणायाम और योगाभ्यास कराया गया। वैसे इसमें
कोई शक नहीं कि वर्तमान में कोरोना मरीजों में अलग-अलग तरह के पेशेंट हैं जिन्हें सामान्य और गंभीर
मरीजों की श्रेणी में रखा जा सकता है। वैसे मध्यप्रदेश में वीवीआईपी व्यक्तियों
में संक्रमण भी किसी से छिपा नहीं है। प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह सहित
लगभग 40 विधायक
संक्रमित हो चुके हैं। यही नहीं कोरोना संक्रमण के चलते ब्यावरा के कांग्रेसी विधायक
गोवर्धन दांगी का देहावसान हो चुका है।
वैसे वैज्ञानिकों का मानना
है कि सामान्य श्वसन वायरसों (कॉमन
रेस्पिरेट्री वायरस) की तरह ही कोविड-19 उन
देशों में जहां समशीतोष्ण जलवायु है समय रहते मौसमी बीमारी हो जाएगी। लेकिन यह तभी
संभव है जब हर्ड इम्युनिटी की स्थिति बनेगी। हर्ड
इम्यूनिटी का अर्थ ‘सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता’ होता है। जैसा कि हमें बताया जाता रहा
है कि यदि हमें कोरोना से बचना है तो अपनी इम्यूनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता को
बढ़ाते रहना होगा, अर्थात जब तक वेक्सीन नहीं आता तब तक इम्यूनिटी को
मजबूत रखना ही हमें संक्रमण
से बचा सकता है। हर्ड इम्यूनिटी का मतलब एक बड़े हिस्से अर्थात 70 से 90 प्रतिशत लोगों
में वायरस से लड़ने की ताकत पैदा करना है। जैसे-जैसे वायरस से लड़ने के लिए सशक्त
इम्यूनिटी वाले लोगों की संख्या बढ़ती जाएगी वैसे वैसे वायरस का खतरा कम होता
जाएगा और इस तरह संक्रमण की चेन टूट जाएगी। इससे वे लोग भी बच सकेंगे जिनकी
इम्यूनिटी कमजोर है और जब तक हर्ड इम्यूनिटी स्थापित नहीं होती तब तक हर मौसम में
कोरोना वायरस परेशान करता रहेगा।
लेबनान के बेरुत के अमेरिकन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता हसन जाराकेट
का कहना है कि जब तक समुदाय में हर्ड इम्यूनिटी स्थापित नहीं होती तब तक साल भर
कोविड-19 बना
रहेगा, इसलिए लोगों को इसके साथ
रहने की आदत डालना पड़ेगी। सर्वश्रेष्ठ बचाव के तरीकों की आदत डालनी पड़ेगी। जिनमें
मास्क पहनना, शारीरिक दूरी मेंटेन करना, हाथों को बार-बार साबुन से
धोना और भीड़ बढ़ाने से बचना होगा। दोहा में कतर विश्वविद्यालय के लेखक हादी यासीन
कहते हैं कि कोविड-19 के कई दौर तब तक जारी
रहेंगे जब तक हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त नहीं हो जाएगी। वे आगे कहते
हैं कि हम जानते हैं कि श्वसन तंत्र से संबंधित कई वायरस
समशीतोष्ण क्षेत्रों में मौसमी होते हैं। उदाहरण के लिए इनफ्लुएंजा और कई तरह के
कोरोना वायरस जिनसे सामान्य सर्दी-जुकाम होते हैं और जो सर्दियों में सबसे ज्यादा
प्रभावित करते हैं। लेकिन ट्रॉपिकल क्षेत्रों अर्थात उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में साल
भर परेशान करते हैं। इस प्रकार अधिकांश वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस
से बचाव के लिए या तो वैक्सीन आ जाए या फिर हर्ड इम्यूनिटी
पैदा हो जाए। यह दोनों ही स्थितियां हमें वायरस से बचा
सकती हैं। जब तक यह दोनों स्थितियां नहीं है तब तक हमें कोरोना वायरस से डरना
होगा। तब तक हमें अनिवार्य रूप से मास्क पहनना होगा, शारीरिक दूरी बना कर रखना
होगा, हाथों को सैनिटाइज करना या
साबुन से बार-बार धोना और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थो को भोजन सामग्री में शामिल
करना होगा।