डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि समूचा विपक्ष
राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को स्वीकार कर ले वह इसलिए कि
कांग्रेस देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी है, इसलिए कि कांग्रेस के बड़े-बड़े
नेता भी यही चाहते हैं. लेकिन विपक्षी दलों में ना कोई हड़बड़ाहट है और ना नेतृत्व
के लिए राहुल को स्वीकार करने की मजबूरी. जिस कांग्रेस के पास पूरे देश में आज
मात्र मिजोरम, पंजाब, कर्नाटक तथा मेघालय राज्य ही बचे हैं और जिस का जनाधार
सिकुड़कर पतले से भी पतला हो गया है, और जब कि क्षेत्रीय दलों को 2019 में अपनी संभावनाएं
ज्यादा नजर आ रही हों तब समूचा विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार करने में
क्यों रुचि दिखाएगा ?