रविवार, 2 दिसंबर 2018

मसखरे सिद्धू कभी संजीदा नहीं हो सकते.....


 मसखरे सिद्धू कभी संजीदा नहीं हो सकते.....
डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
       दुनिया में शायद ही ऐसा कोई देश होगा जिसके नागरिक या नुमाइंदे अपने देश के दुश्मनों से गले मिलने के लिए आतुर रहते हों, जो देश की विदेश नीति के विरुद्ध दुश्मन देश से व्यक्तिगत हैसियत के नाम पर देश को नीचा दिखाते हैं. लेकिन भारत ऐसा ही देश है जिसके नेता ऐसा करने में कोई लज्जा या शर्म महसूस नहीं करते. दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं होगा जो यह जानता हो  कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 के बाद से ही कभी ना तो संबंध सामान्य रहे और ना उनके बीच मतभेद कभी कम हुए. आज की दुनिया यह भी जानती है कि पाकिस्तान आतंक को हवा देने वाला देश है और यह भी कि वह भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए बेनकाब हो चुका है. लेकिन भारत के कतिपय कांग्रेसी नेताओं को यह बात कभी कुबूल ही नहीं हुई.
   हाल के दिनों में पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत में कांग्रेस के नेता पाकिस्तान में पता नहीं कौन सा सकारात्मक बदलाव देख रहे हैं कि वे पाकिस्तानी हुक्मरानों को दोनों बाहें फैलाकर गले मिलने को बेचैन हुए जा रहे हैं. पिछले 100 दिनों में दो  बार ऐसा हुआ है जिसमें पंजाब के दलबदलू कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तान जाकर दुश्मन देश के हुक्मरानों से गले मिलकर भारत की आवाम को नीचा दिखाया है. पहली बार नवजोत सिंह सिद्धू 18 अगस्त 2018 को इमरान खान के प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे तब भी यह कहा गया था कि वे पंजाब सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर के रूप में नहीं बल्कि व्यक्तिगत हैसियत से अपने क्रिकेट दौर के दोस्त इमरान के शपथ ग्रहण में शामिल हुए थे. बात इतने भर तक की होती कि सिद्धू  कार्यक्रम में शामिल होकर लौट आते तो किसी को शायद कोई एतराज नहीं होता किंतु सिद्धू ने वहां ना केवल उस पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा को गले लगाया जो कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को हवा देने के लिए उत्तरदाई है. सिद्धू ने इमरान की तारीफों के पुल बांधते हुए कसीदे पढ़े. यही नहीं उन्होंने तब पाक मीडिया को कहा कि मैं दोस्ती और मोहब्बत का पैगाम लेकर आया हूं. मुझे यहां 100 गुना मोहब्बत मिली. यही नहीं सिद्धू ने कहा जनरल बाजवा शांति चाहते हैं. जिस पाकिस्तान ने हर मौके पर भारत की पीठ में छुरा घोंपा उसका जनरल शांति की बात कर रहा है इससे बड़ा मजाक कोई हो ही नहीं सकता. किंतु जन्मजात कॉमेडियन सिद्धू ने बाजवा को शांतिदूत बना दिया. कितनी विचित्र बात है कि कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा भेजे गए पिछले 11 महीनों में सेना ने 240 आतंकवादियों को 72 हूरों के पास पहुंचाया उसी देश के आर्मी चीफ पर यह विश्वास कैसे कर लिया जाए कि वह शांति चाहते हैं.
वस्तुतः पाकिस्तानी ढोंग को सिद्धू जैसा मसखरा ही सच मान सकता है कोई और नहीं. पिछले सप्ताह भारत सरकार ने करतारपुर साहब कोरीडोर का भारत में शिलान्यास किया जिसके 2 दिन बाद ऐसा ही शिलान्यास पाकिस्तान में इमरान खान ने किया. इस मौके पर भी सिद्धू पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मना करने के बावजूद पाकिस्तान गए. मान भी लिया जाए कि सिद्धू वहां अपनी धार्मिक आस्था की प्रतिपूर्ति के लिए गए थे लेकिन वहां जाकर उन्होंने देश का जो अपमान किया उसकी शायद ही कोई मिसाल रही होगी. उन्होंने वहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान की तारीफ में कसीदे पढ़े उन्होंने कहा मेरा यार दिलदार इमरान खान है और इमरान खान जैसे लोग ही इतिहास रचते हैं. इमरान ने अपने भाषण में यह उम्मीद तो की कि भारत से रिश्ते सुधारने की उनकी मंशा है लेकिन उन्होंने परोक्ष रूप में यह भी स्पष्ट किया कि वे प्रधानमंत्री मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहते अन्यथा कोई कारण नहीं था कि वह यह कहते कि क्या सिद्धू भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे तभी रिश्ते सुधरेंगे. यही नहीं सिद्धू ने एक बहुत बड़ा प्रज्ञा अपराध कर देश की अस्मिता पर कुठाराघात किया. सिद्धू ने उस खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला के साथ फोटो खिंचवाया जिस के निकट संबंध आई एस आई और हाफिज सईद जैसे आतंकियों से जगजाहिर हैं. कौन नहीं जानता कि अभी हाल ही में अमृतसर में निरंकारी प्रार्थना स्थल पर हुए ग्रेनेड हमले में 3 लोगों की मौत हुई थी और 19 लोग घायल हुए थे जिसमें खालिस्तानी उग्रवादियों का हाथ था.
 वस्तुतः कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी नीचा दिखाने में सिद्धू ने कोई कसर नहीं छोड़ी. कैप्टन अमरिंदर सिंह भारतीय आर्मी में कैप्टन रहे हैं. अन्य कोई मुख्यमंत्री होता तो करतारपुर साहब में मत्था टेकने के नाम पर पाकिस्तान की यात्रा कर आता किंतु अमरिंदर सिंह का स्पष्ट मत है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करता तब तक वह पाकिस्तान नहीं जाएंगे. यह संकल्प उन्हें दूसरे कांग्रेसियों से अलग करता है जो भारत में रहकर भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन करते हैं. कल तक देश मणिशंकर अय्यर जैसे पाकिस्तान भक्तों को ही जानता था जो पाकिस्तानियों से मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने में उसकी मदद मांगते हैं लेकिन अब सिद्धू जैसे देश विरोधियों को भी देख रहे हैं जो देश के दुश्मन पाकिस्तान के आर्मी चीफ से ही गले नहीं मिलता बल्कि खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला के साथ फोटो भी खींचाता है. सच्चाई तो यह है कि सिद्धू ने जितनी चालें चली हैं उनमें उन्हें कांग्रेस आलाकमान का समर्थन मिल रहा है जो वे खुद स्वीकार करते हैं. सिद्धू ने कहा था कि राहुल मेरे कैप्टन हैं  और उनके कहने पर ही मैं पाकिस्तान गया था. यही नहीं वह अमरिंदर सिंह को नीचा दिखाने के लिए कहते हैं, कौन कैप्टन.... अच्छा अमरिंदर सिंह, लेकिन मेरे कैप्टन तो राहुल गांधी हैं और वे कैप्टन के भी कैप्टन हैं.
 जब से इमरान खान ने सिद्धू को चने के झाड़ पर चढ़ाया है तब से सिद्धू पंजाब की राजनीति में कैप्टन अमरिंदर सिंह से स्वयं को बढ़ा मानकर चल रहे हैं. लगता तो यह है की कैप्टन अमरिंदर सिंह की देश भक्ति और पाकिस्तानी आतंकी गतिविधियों पर दो टूक राय रखने के कारण राहुल गांधी भी उन्हें पसंद नहीं करते जिसका फायदा उठाकर सिद्धू मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने की लालसा रखने लगे हैं. और यही कारण है कि वह कैप्टन अमरिंदर सिंह का अपने मसखरी  मिजाज के अनुरूप मजाक उड़ा रहे हैं. सच्चाई तो यह है कि मसखरे  कॉमेडियन कितने  ही बड़े पद पर क्यों ना पहुंच जाए वह अपने पद की गरिमा को नीचा दिखाए बगैर नहीं रह सकते. मसखरे सिद्धू कभी संजीदा नहीं हो सकते. देश विरोधी कृत्य के लिए ना केवल उन्हें माफी मांगना चाहिए बल्कि उनसे मंत्री पद से इस्तीफा भी लिया जाना चाहिए.


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