बुधवार, 5 दिसंबर 2018

गुगली फेंकने की बात कर बेनकाब हो गया पाकिस्तान


        गुगली फेंकने की बात कर बेनकाब हो गया पाकिस्तान

                     डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया  
      पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जिसकी तुलना उस जानवर से की जा सकती है जिसकी पूंछ 12 साल भी पोंगली में रखी जाए तो भी टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है. पाकिस्तान कभी सुधरेगा इसकी उम्मीद सपने में भी करना बेमानी है. लेकिन यहां यह भी देखने की बात है कि भारत में भी जयचंदों की कमी नहीं जो देश को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. करतारपुर साहब गलियारे के निर्माण में भारत सरकार ने जो त्वरित निर्णय लिया वह निर्णय पाकिस्तान के पक्ष में नहीं बल्कि उसका मूल मकसद देश भर के 12 करोड़ सिखों की धार्मिक आस्था के सम्मान का था. देश का सिख समुदाय पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब के दर्शन करना चाहता है लेकिन सबसे बड़ी समस्या यही रही कि वह उस पाकिस्तान में है जो हमेशा भारत की पीठ में छुरा घोंपता है. भारत पर थोपे गए तीन तीन  युद्ध में पराजय और अपमान झेलने के बाद भी बेशर्मी से अपनी पीठ थपथपाने वाला पाकिस्तान विगत एक सप्ताह में दुनिया भर में बेनकाब हो गया. करतारपुर साहब कॉरिडोर के पाकिस्तान में उद्घाटन समारोह में भारत से केंद्र सरकार के 2 मंत्री हरसिमरत कौर और हरदीप पुरी के साथ ही पंजाब सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर नवजोत सिंह सिद्धू भी गए थे. निश्चित तौर पर यह कोई सियासत का मंच नहीं था बल्कि दो देशों के बीच सिख समुदाय की भावनाओं और आस्थाओं को सम्मान देने के लिए उठाए जा रहे कदमों का था. स्वाभाविक था कि भारत के व्यक्तिगत हैसियत से गए इन प्रतिनिधियों को संयमित रहते हुए वापस आना था. हरसिमरत कौर और हरदीप सिंह करतारपुर साहब में प्रार्थना कर वापस आए किंतु दो बार पाकिस्तान गए कांग्रेसी पंजाब सरकार के मंत्री सिद्धू ने ना केवल इमरान के शपथ ग्रहण में समारोह बल्कि कॉरीडोर उद्घाटन में देश का जो अपमान किया उसे पंजाब का सिख समुदाय ही नहीं बल्कि भारत का हर नागरिक कभी नहीं भूलेगा.
    अपनी पहली यात्रा में सिद्धू ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की तारीफ और आर्मी चीफ जनरल बाजवा को झप्पी देकर यह सिद्ध करने की कोशिश की कि पाकिस्तान के हुक्मरान और सेना ना केवल अमन पसंद है बल्कि वह भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं यह तो भारत की मोदी सरकार है जो अपने सियासती  लाभ के लिए पाकिस्तान से दुश्मनी बनाए हुए है. सिद्धू ने दोनों ही दोनों दौरों में दिल  खोलकर इमरान और बाजवा की तारीफ के पुल बांधे. एक पाकिस्तानी पत्रकार को दिए इंटरव्यू में जब सिद्धू से पूछा गया कि ‘आज हर जगह आपकी चर्चा हो रही है इसका क्रेडिट आपको जाता है’ इस पर सिद्धू ने कहा कि ‘इसका क्रेडिट प्रधानमंत्री इमरान और प्रधानमंत्री मोदी को जाता है. लेकिन इसकी पहल हमेशा पाकिस्तान ने की.’ वस्तुतः पूरे इंटरव्यू में वे पाकिस्तान सरकार का  गुणगान करते नजर आए. घटनाक्रम यहीं थम जाता तो शायद कोई बाबेला नहीं बचता मचता किंतु पाकिस्तान के दिमागी दिवालियापन ने उसे विश्व समुदाय के सामने पूरी तरह से बेनकाब कर दिया.
    सिद्धू और कांग्रेस के समर्थक पाकिस्तान ने करतारपुर साहब कॉरिडोर को अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि मानते हुए यह प्रचारित करने की कोशिश की कि उसने भारत सरकार को अपने कूटनीतिक जाल में फांस लिया है. इमरान मंत्रिमंडल के मंत्रियों ने डीगें हांक हांक कर यह कहना शुरू कर दिया कि पाकिस्तान ने एक  साल में भारत को बैकफुट पर ला कर खड़ा कर दिया.
     अपने एक बयान में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कसूरी ने कहा कि ‘ऐतिहासिक करतारपुर गलियारे के शिलान्यास कार्यक्रम में भारत सरकार की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक गुगली फेंकी.’ उन्होंने कश्मीर राग अलापते हुए कहा कि ‘कश्मीर हमारी पॉलिसी का केंद्र रहा है जब तक यह मसला हल नहीं हो जाता तब तक यह हमारे एजेंडे में रहेगा’. सच्चाई तो यह है कि कसूरी मोदी सरकार की कूटनीति को समझने का माद्दा ही नहीं रखते. यह मोदी की कूटनीति ही है जिसने पाकिस्तान को विश्व समुदाय में भिखारी बना दिया. यही नहीं आज पाकिस्तान एक अघोषित आतंकी देश के रूप में जाना जा रहा है. कसूरी को यह जान लेना चाहिए की उनका बयान चूहे को चिंदी मिलने की खुशी में उचक उचक कर सबको बताने भर की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं.
   किसी भी देश का राष्ट्रपति कभी भी सरकार के कामकाज की सधे शब्दों में समीक्षा करता है किंतु पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को भी कॉरिडोर  उद्घाटन घटनाक्रम में पाकिस्तान की इतनी बड़ी जीत नजर आई कि वह अपने शब्दों में संयम नहीं रख पाए. उन्होंने पाकिस्तान के एक चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि ‘जिस तरह से शतरंज के खेल में चालें चली जाती हैं वैसे ही चाल पाकिस्तान की ओर से चली गई और पाकिस्तान की चाल में भारत फंस गया है.’ वस्तुतः अल्वी साहब को समझ लेना चाहिए कि मोदी सरकार की चालों  को समझने के लिए बड़ी बुद्धिमत्ता की जरूरत होती है. सतही, उथले और बौद्धिक रूप से कमजोर लोग सात जन्म ले लें तो भी मोदी को समझना मुश्किल है.
     इससे पहले पाक के रेल मंत्री शेख राशिद अहमद ने करतारपुर कॉरिडोर को लेकर विवादित बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने सिद्धू को जो झप्पी लगा कर चाल चली उससे भारत की विदेश नीति पूरी तरह से नेस्तनाबूद हो गई. राशिद साहब भारत की विदेश नीति को आपने समझ लिया होता तो आपको आज कटोरा लेकर भीख नहीं माननी पड़ती. वस्तुतः पाकिस्तान के ये हुक्मरान अपने बयानों से अक्ल के दुश्मन ही नजर आए.
   इन तीनों बयानों से एक बात स्पष्ट हुई की पाकिस्तान की सियासत के इन दिमाग से पैदल लोगों ने अपने दिल में पल रही भारत को नीचा दिखाने की लालसा को व्यक्त किया. ये भूल गए कि वे जो कह रहे हैं उसकी भारत में जो प्रतिक्रिया होगी उसका जवाब उनके पास हो ही नहीं सकता. इन सब बयानों ने पाकिस्तान को पूरी तरह से बेनकाब कर के रख दिया. गुगली वाले बयान पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहां कि ‘श्रीमान पाकिस्तान विदेश मंत्री आपके द्वारा कही गई गुगली वाली बात आपकी मंशा को पूरी तरह से लोगों के सामने रख रही है. इससे यह भी पता चलता है कि आपकी सरकार को सिखों की भावना की कोई परवाह नहीं है. मैं आपको बताना चाहती हूं कि हम आपकी गुगली में नहीं फंसे हैं. हमारे दो मंत्री करतारपुर साहब सिर्फ इसलिए गए ताकि इस पवित्र गुरुद्वारे में प्रार्थना कर सकें.’ इस बयां के बाद इमरान खान ने कहा कि यह कोई गुगली नहीं थी.
    वस्तुतः पाकिस्तान को जान लेना चाहिए की सिद्धू या कांग्रेस भारत नहीं है. भारत की आत्मा 130 करोड़ लोगों के दिलों में रहती है जो अपने दुश्मन पाकिस्तान को पहचानती है. पाकिस्तान भारत को न गुगली फेंक सकता है, ना शतरंज की चालों में मात दे सकता है और ना झप्पी में फंसा सकता है. यह भी कि देश की जनता सिद्धू जैसे जयचंदों को सबक सिखाना जानती है.


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