नए भारत की लोकतांत्रिक
आवश्यकताओं को पूरा करेगा नया संसद भवन
डॉ हरिकृष्ण
बड़ोदिया
इसमें कोई संदेह नहीं कि
आज का संसद भवन स्थापत्य का नायाब नमूना है और यह भी सच है कि लगभग 100 साल पहले बने इस संसद भवन ने देश के लोकतांत्रिक कर्तव्यों के निर्वाह
करने में जनप्रतिनिधियों की अब तक बहुत सेवा की है, किंतु समय के साथ हर चीज कमजोर
होती चली जाती है। पूरी एक
शताब्दी के बाद आज यह मानना कि वर्तमान संसद भवन अभी 50 साल और अपनी सेवाएं दे सकता था बड़ी भूल होगी और एक नायाब भवन के साथ
अन्याय होगा। निसंदेह
आज जरूरत इसी बात की थी कि इस भवन को एक यादगार के रूप में संरक्षित किया जाए जो
पीढ़ी दर पीढ़ी आम लोगों को अपने गौरवशाली इतिहास को बताता रहे, जो बताए कि 100 साल पहले बने इस भवन ने लोकतंत्र के कई पड़ाव देखे हैं।
गुरुवार को जब नए संसद भवन का शिलान्यास हुआ तब
एक बात स्पष्ट हो गई कि वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी एक दूरदृष्टि और पक्के इरादे
वाले व्यक्ति हैं। नए संसद
भवन के निर्माण की रूपरेखा वस्तुतः उन सरकारों को बनानी चाहिए थी जिन्होंने इस देश
पर 60 से अधिक वर्षों तक राज किया किंतु केवल सत्ता पर विराजमान रहने के अलावा
इस दिशा में कभी सोचा ही नहीं गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने भवन की आधारशिला रखते हुए ठीक ही कहा कि ‘नया संसद भवन भारत
के लोकतांत्रिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। इसका केवल प्रतीकात्मक महत्व नहीं है
बल्कि यह बदलते भारत और नए भारत की लोकतांत्रिक आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा’।
वर्तमान संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी 1921 को रखी गई थी जिसे बनने में 6 साल लगे थे तथा इस पर
कुल 83 लाख रुपए की लागत आई थी। इसका उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड
इरविन ने किया था।
स्वाभाविक है वर्तमान संसद भवन लंबे समय तक सेवाएं देने में सक्षम नहीं रहेगा। जब इस भवन का उद्घाटन हुआ था तब
इसमें तीन महत्वपूर्ण सभाकक्ष थे जिन्हें चेंबर ऑफ प्रिंसेस, स्टेट काउंसिल और
सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली कहा गया था। स्वतंत्र भारत में आजादी के बाद इन
तीनों को क्रमश: लाइब्रेरी हाल, राज्यसभा और लोकसभा के रूप में तब्दील कर दिया गया
था। स्वतंत्रता के बाद जैसे-जैसे भवन में
प्रतिनिधियों की आवश्यकताओं में इजाफा होता गया वैसे वैसे इसमें अतिरिक्त निर्माण
किए जाते रहे।
नए संसद भवन का निर्माण स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने के
पहले सन 2022 तक पूरा हो जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का यह कहना
कि 2022 में संसद सत्र नए संसद भवन में ही आयोजित होगा इस बात का प्रतीक है कि
निर्माण कार्य द्रुतगति से किया जाएगा।
इस निर्माण कार्य में लगभग 2000 लोग प्रत्यक्ष रूप से तथा 9000 लोग अप्रत्यक्ष रूप
से काम करेंगे। उनका यह
कहना कि नया संसद भवन देश की सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन करेगा सुखद अनुभूति
देता है। नया संसद
भवन 64500 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनेगा। यह इमारत भूकंप रोधी होगी। इसके निर्माण पर लगभग 862 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे। इस भवन
के सेंट्रल हॉल में देश के 1224 माननीय सांसद एक साथ बैठ
सकेंगे। इस भवन
में 876 सीट वाली लोकसभा और 400 सीट वाली राज्य सभा होगी। लोकसभा अध्यक्ष श्री बिरला के अनुसार
इस भवन में बेसमेंट भूतल, प्रथम तल और द्वितीय तल होंगे। इसकी ऊंचाई भी वर्तमान संसद भवन के
बराबर होगी ताकि दोनों भवनों में समरूपता दिखाई दे। लोकसभा अध्यक्ष का कहना है कि नए
संसद भवन में सभी सांसदों के अलग कार्यालय होंगे जो आधुनिक डिजिटल सुविधाओं से लैस
होंगे। यही नहीं इसे पेपरलेस ऑफिस बनाया
जाना है। इसमें सांसदों
के लिए एक लोंज और पुस्तकालय, विभिन्न समितियों के कक्ष, भोजन कक्ष और पार्किंग
क्षेत्र होंगे। यह नया
संसद भवन नए भारत की प्रगति का सूचक बनेगा। देश के
आम नागरिक को इस पर गर्व होगा तो वहीँ यह विश्व पटल पर भारत की भवन निर्माण कला का
उत्कृष्ट उदाहरण बनेगा।
किंतु भारत में जब तक किसी भी काम
का विरोध ना हो तब तक आपत्ति करने वालों को रोटी हजम नहीं होती है। यह सही है कि 10 दिसंबर को नए संसद भवन का प्रधानमंत्री मोदी ने शिलान्यास किया है लेकिन
सुप्रीम कोर्ट में लगभग 10 याचिकाएं इसके निर्माण पर आपत्ति
की दायर हुई हैं जिन पर निर्णय होना है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी केवल आधारशिला
रखने की इजाजत दी है। इसमें
सबसे अहम याचिका वकील राजीव सूरी की है, उन्होंने पूरे प्रोजेक्ट के निर्माण और
जमीन के इस्तेमाल पर आपत्ति दर्ज की है।
याचिकाकर्ताओं की आपत्ति है कि संसद भवन वाले इलाके में नई इमारत बनाने पर रोक लगी
हुई है। अब इन्हें कौन समझाए कि यह रोक किसी
अन्य तरह के निर्माण कार्य जो संसद भवन से जुड़े नहीं हैं पर है ना कि नए संसद भवन
के निर्माण पर।
वस्तुतः नरेंद्र मोदी के एक के बाद एक उल्लेखनीय कामों से
विपक्ष की हर पार्टी हैरान परेशान नजर आ रही है। देश की सांस्कृतिक पहचान को
स्थायित्व देने के लिए जहां एक ओर अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय
के बाद राम मंदिर निर्माण का काम प्रारंभ हो गया है वहीं गुरुवार को मोदी ने देश
के नए संसद भवन के निर्माण की आधारशिला रखकर ब्रिटिश काल में बने वर्तमान संसद भवन
को वक्त के झंझावातों से बचाने और
उसे संरक्षित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, लेकिन देश
के विपक्ष को ये सब रचनात्मक निर्णय पसंद नहीं आ रहे हैं। राम मंदिर निर्माण
निर्णय पर विपक्ष ने उतनी मुखर आलोचना इसलिए नहीं की थी क्योंकि उसे हिंदुओं की
बेरुखी का डर था किंतु नए संसद भवन के निर्माण पर कांग्रेस की छाती पर सांप लोट
गया है। यही कारण है कि उसके महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर मोदी को
संबोधित करते हुए लिखा 'मोदी जी इतिहास में यह भी दर्ज होगा
कि जब अन्नदाता सड़कों पर दो हफ्ते से अधिक समय से हक की लड़ाई लड़ रहे थे तब आप
सेंट्रल विस्टा के नाम पर 'अपने लिए' महल
खड़ा कर रहे हैं। इस ट्वीट से यह तो स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस कितनी हताश है। वह
समझ रही है कि संसद भवन का निर्माण देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी जिसका लाभ
मोदी को अगले चुनाव में मिलने से नहीं रोका जा सकता। इसी ट्वीट में सुरजेवाला का
यह कहना कि 'आप सेंट्रल विस्टा के नाम पर अपने लिए महल खड़ा
कर रहे हैं' स्पष्ट करता है कि कांग्रेस को किसी तरह की
गलतफहमी नहीं है कि 2024 में पुनः मोदी ही प्रधानमंत्री
बनेंगे। यदि ऐसा नहीं होता तो वे यह नहीं लिखते कि 'आप अपने
लिए महल खड़ा कर रहे हैं'। वस्तुतः विपक्ष का मोदी के हर काम
की आलोचना करना स्वयं के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। जो पार्टी 70 साल के शासन में वर्तमान संसद भवन के भविष्य और नई आवश्यकताओं की पूर्ति
के लिए नए संसद भवन के निर्माण पर कोई विजन नहीं दे पाई उससे आलोचना के सिवाय और
क्या उम्मीद की जा सकती है। जो प्रतिनिधि अपने महल बनाने में ही लगे रहे हों वे
संसद के महल को बनाने के बारे में कैसे सोच सकते थे। कांग्रेस के ही जयवीर शेरगिल
ने कहा कि ‘यह अंतिम संस्कार के समय डीजे बजाने जैसा है’। अब यह तो शेरगिल जी ही
बता सकते हैं किसका अंतिम संस्कार है, वैसे ऐसा नकारात्मक सोच नहीं रखना चाहिए।असल
में पूर्व की सरकारों के जिम्मेदार मंत्री और प्रतिनिधियों ने स्वयं की उन्नति के
बारे में सोचने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया होता तो देश की उन्नति के बारे में सोच
पाते। आज जब पीएम मोदी देश की उन्नति के बारे में निर्णय ले रहे हैं तो यह सब
अखरना स्वाभाविक है।
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