रविवार, 15 अक्तूबर 2017

रोहिंग्या मुसलमान के समर्थन करने वाले देश के हितेषी नहीं हो सकते


Dr. Hari Krishna Barodiya
डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया


पिछले कई दिनों से देश में अवैध रूप से घुसपैठ कर रहे और कर चुके रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति देश की सेक्युलर जमात जिनमें कांग्रेस, वामपंथी और कई मोदी विरोधी दल और अधिकांश मुल्ले मौलवियों में उदारता उपज आई है. उन मुसलमानों के प्रति जो देश के नहीं हैं और जो म्यानमार में बौद्धों के कत्लेआम के जिम्मेदार हैं के प्रति मानवाधिकारों के पैरोकार देश की सुरक्षा के साथ ही समझौता करने को तैयार हैं. यही नहीं इन रोहिंग्या मुसलमानों की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने के लिए मोदी विरोधी सियासती वकीलों की फौज खड़ी है. रोहिंग्या मुसलमानों की पैरवी करने में प्रशांत भूषण, राजीव धवन, फली नरीमन, कपिल सिब्बल और अश्विनी कुमार जैसे लोग बिना इस बात की परवाह किए कि इन
रोहिंग्याओं की निष्ठा संदेहास्पद है, इनकी गतिविधियां देश विरोधी हैं, कोर्ट में सरकार
के विरुद्ध जिरह कर रहे हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में गृह मंत्रालय ने साफ साफ कह दिया कि रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं इनके भारत में रहने से देश में सांप्रदायिक दंगे भी भड़क सकते हैं. अधिकांश रोहिंग्या आतंकी प्रष्ठभूमि से हैं, इनके संबंध पाकिस्तान की आईएसआई और इस्लामिक जिहादी संगठन आईएस से हैं इन्हें किसी भी दशा में भारत में नहीं रहने दिया जाएगा. तब ऐसे में इनका पक्ष लेने वाले इन्हें भारत में रहने देने के लिए क्यों दबाब बना रहे हैं समझ से परे है.
    वस्तुतः वर्तमान में भाजपा और मोदी विरोधी दलों की नियत सिर्फ इस बात पर केंद्रित दिखाई देती है कि इन रोहिंग्या को देश में बसाकर राजनीतिक लाभ लिया जाए. यही नहीं भारतीय मुसलमानों की पूरी जमात सिर्फ इसलिए उनके साथ खड़ी है क्योंकि वह मुसलमान हैं. कौन नहीं जानता कि देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी कह चुके हैं कि देश में मुसलमान असुरक्षित हैं और वह बेचैनी महसूस कर रहे हैं. देश में स्वीकार्यता का माहौल खतरे में है. यही नहीं हामिद साहब की राय से देश के मुस्लिम संगठन इत्तेफाक रखते हैं तब ऐसे में ये लोग रोहिंग्या को भारत में शरण देने की पैरवी क्यों कर रहे हैं. कहीं इसके पीछे यह सोच तो नहीं कि देश में जितने ज्यादा मुसलमान बढ़ेंगे उतना ही ये देश की मोदी सरकार और भारत के हिंदुओं पर दबाव बनाने में सफल होंगे. कहीं ऐसा तो नहीं कि भारत के मुसलमानों के तुष्टिकरण का इन समर्थकों को यह नया रास्ता मिल गया है. सच्चाई तो यह है कि देश का मुसलमान ना डरा हुआ है और ना असुरक्षित है बल्कि वह अपने लोगों की संख्या बढ़ाकर देश में दूसरे संप्रदायों के लोगों को डराने के लिए चाहता है कि रोहिंग्या भारत में ही रहें. लेकिन मोदी सरकार का दृढ़ निश्चय इन्हें इनकी मंशा में कामयाब नहीं होने देगा ऐसी आशा की जानी चाहिए.           
    कितनी विडंबना है कि रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में तथाकथित मानवाधिकारों के पैरोकार और राजनीतिक पार्टियां मोदी के रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकालने के फैसले का विरोध कर रहे हैं. दिल्ली में भारत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन वर्तमान भारत सरकार को ऐसे किसी दबाव के आगे झुकना नहीं चाहिए.
 भारत पहले से ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से लड़ रहा है. सरकार यह अच्छी तरह जानती है कि इन रोहिंग्या मुसलमानों को पाकिस्तानी आईएसआई मदद कर रही है ऐसे में इन्हें देश के अंदर पनाह देना किसी भी दृष्टि से देश की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगाने जैसा होगा. ताजा समाचारों के अनुसार मोदी सरकार ने न केवल रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकालने बल्कि म्यानमार को सैन्य हथियारों की मदद करने का फैसला लिया है जो ना केवल इनके आतंक पर नकेल कसेगा बल्कि इससे पाकिस्तान की चाल भी पस्त होगी. देश में आतंकी गतिविधियों को हवा देने के लिए दुश्मन देश पाकिस्तान कोई कसर नहीं छोड़ रहा ऐसे में इन रोहिंग्या मुसलमानों को देश में पनाह देना देश के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है. पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मूल रूप से बांग्लादेश के आतंकी सुमोन हक उर्फ राजू को गिरफ्तार किया है. यह आतंकी अलकायदा से जुड़ा हुआ है. यह भारत में रहकर म्यानमार सेना से लड़ने के लिए रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकी संगठन बनाने की तैयारी कर रहा था जो इस बात का प्रमाण है कि रोहिंग्या मुसलमान देश में रहकर देश की सुरक्षा के लिए भी किसी बड़े खतरे से कम नहीं हैं. सुमोन हक ब्रिटिश नागरिक है, उसके माता पिता लंदन में रहते हैं. सुमोन हक उर्फ राजू का इस्तेमाल आई एस आई की साजिश का हिस्सा हो सकता है इससे इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ भारत सरकार का कदम सही और देश हित में है. रोहिंग्या मुसलमानों को देश में विरोधी दलों, छद्मधर्मनिरपेक्षता वादियों और मुसलमानों का जो समर्थन मिल रहा है उसे देख कर एक बात तो स्पष्ट होती है कि यह सब देश की बर्बादी के पैरोकार जैसे हैं. ये सब लोग देश की खुफिया एजेंसियों पर भी विश्वास नहीं कर रहे जो बार-बार यह अंदेशा जता चुकी हैं कि रोहिंग्या मुसलमान देश में सांप्रदायिक दंगों को भड़काने का काम कर सकते हैं. टीवी डिबेट में कई मोदी सरकार विरोधी नेता यह कहते हुए दिखे कि सरकार कह रही है कि कुछ रोहिंग्या के संबंध पाक आईएसआई और आईएस  से हैं, सबके तो इनसे संबंध नहीं है तब क्यों उन्हें देश से बाहर किया जाए. क्या ये यह नहीं जानते कि जब कुछ रोहिंग्या ही देश को तबाह कर सकते हैं और अगर उनका साथ सब रोहिंग्या देंगे तब क्या होगा. लगता है कि इनकी आंखों पर सियासत की पट्टी बंधी है. यह आसन्न  खतरों को जानबूझकर इसलिए नजरअंदाज कर रहे हैं कि भारत में अस्थिरता का वातावरण बने और सब मोदी विरोधी मिलकर उसका सियासी फायदा उठा सकें. कितनी विडंबना है कि सब कुछ आईने की तरह साफ होने के बावजूद देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस सहित कई कई मोदी विरोधी पार्टियां रोहिंग्या को गले लगाने पर आमादा हैं. इन रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में कोलकाता में 25 से 30 हजार कट्टर मुस्लिमों ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए किलोमीटर लंबा मार्च निकाला. इस प्रदर्शन में एक शिया मुसलमान मौलाना शब्बीर अली आजाद वारसी ने भड़काऊ भाषण दिया जिसमें उसने कहा – ‘तुम (मोदी और हिंदुओं) अभी मुसलमानों का इतिहास नहीं जानते. हम लोग शिया मुस्लिम हैं. हम 72 भी होते हैं तो लाखों को मार सकते हैं. उसने कहा- मैं दिल्ली में बैठी सरकार से कहना चाहता हूं कि रोहिंग्या हमारे भाई हैं. यह सोचने की भूल मत करो कि रोहिंग्या मुसलमान भारतीय मुसलमानों से अलग हैं. जो उनका खून है वही हमारा है, जो उनका खुदा है वही हमारा है. दुनिया में मुसलमान कहीं भी हो हम सब भाई हैं.ऐसे भड़काऊ भाषण से क्या यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता की ऐसे देशद्रोही मुसलमान रोहिंग्या से मिलकर देश में अस्थिरता को जन्म देंगे. इस मौलाना ने दिल्ली में 25,000 मुसलमानों के जंगी प्रदर्शन की धमकी देते हुए कत्लेआम मचाने की धमकी भी दी. वस्तुतः ऐसे मुल्लाओं को सरकार को तुरंत गिरफ्तार कर देश की सलाखों के पीछे पहुंचाना चाहिए था लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी आड़े आ जाती है. कितनी विडंबना है कि इस्लाम के नाम पर सब एक हो जाते हैं. यह भी कितनी विडंबना है कि रोहिंग्या दूसरे इस्लामिक मुल्कों में ना तो जाना चाहते हैं और ना कोई इस्लामिक मुल्क इन्हें पनाह देना चाहता है, जिसका क्या यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए की रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में बने रहने देकर भारत को कमजोर करने की यह अंतर्राष्ट्रीय साजिश है. कुछ भी हो देश की जनता को यह समझना होगा  कि मानवाधिकार के नाम पर रोहिंग्याओं के पैरोकारों की मंशा देश को अस्थिर करने की है. यदि ऐसा होता है तो सबको एकजुट होकर इनका विरोध करने के लिए कमर कसना होगी और सरकार का साथ देना होगा. यदि ऐसा नहीं होगा तो भारत का सुरक्षित रहना मुश्किल है. रोहिंग्याओं का समर्थन करने वाले देश के हितेशी नहीं हो सकते.

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