डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
अंग्रेजी में एक कहावत है कि ‘एवरी मैन कमिट्स
मिस्टेक, बट फूल्स रिपीट देम’ अर्थात गलतियां हर आदमी करता है किंतु मूर्ख गलतियां दोहराते हैं. आज
कांग्रेस भी उस मूर्ख व्यक्ति की तरह ही है जिसने एक बार गलती करने के बाद फिर से
गलती को दोहरा दिया है. कौन नहीं जानता 2014 के
लोकसभा चुनावों के दौरान बड़बोले मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस की लुटिया डुबाने में हिमालयी गलती की थी. वे तब एक ऐसे भविष्यवक्ता बन गए थे जिसे भविष्य क्या होता है यही नहीं मालूम था. तब उन्होंने कहा था इस सदी में (नरेंद्र
मोदी) एक चाय वाला प्रधानमंत्री नहीं बन सकता. नहीं बन सकता वाक्य को
उन्होंने 3 बार दोहराया था और ऐसा प्रकट किया था जैसे उन्होंने जो कह दिया उसे
इंसान और देश की जनता तो क्या ईश्वर भी नहीं बदल सकता. इसी के साथ उन्होंने अपने घमंड का इजहार करते हुए यह भी कहा था कि यदि नरेंद्र मोदी को चाय बेचना हो तो वह कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में उसकी व्यवस्था कर देंगे. सभी जानते हैं कि कांग्रेस का 2014 में क्या हश्र हुआ. संसद में कांग्रेस केवल 44 सीटों पर सिमट कर रह गई. कहते हैं इतिहास अपने को दोहराता है. चुनावों के समय कांग्रेस का थिंक टैंक उस मानसिक रोगी की तरह हो जाता है जो नहीं जानता कि वह क्या कर रहा है. कई बार मनोरोगी आत्महत्या भी कर लेते हैं. ऐसी ही आत्महत्या का प्रयत्न इस बार फिर कांग्रेस ने कर लिया है.
कांग्रेस के युवा संगठन की ऑनलाइन मैगजीन ‘युवा देश’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चाय बेचने वाले के रूप में मजाक उड़ा कर खुद कांग्रेस ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है. युवा देश ऑनलाइन पत्रिका में युवा कांग्रेसियों ने प्रधानमंत्री का तीन तरह से मजाक उड़ाया. एक तो यह दिखाने का प्रयास किया गया कि मोदी इतने मूर्ख हैं कि उन्हें नहीं मालूम कि मीम का उच्चारण मीम है न की मेमे. दूसरा यह कि उन्हें मीम का सही उच्चारण अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बता रहे हैं कि मेमे नहीं मीम कहा जाता है, तो तीसरा उनका मजाक उड़ाते हुए थेरेसा मे से कहलवाया जाता है कि ‘तू चाय बेच’. कहना न होगा कि ‘युवा देश’ के कांग्रेसियों ने विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी का अपमान करने का घटिया काम किया.
उन्होंने 3 बार दोहराया था और ऐसा प्रकट किया था जैसे उन्होंने जो कह दिया उसे
इंसान और देश की जनता तो क्या ईश्वर भी नहीं बदल सकता. इसी के साथ उन्होंने अपने घमंड का इजहार करते हुए यह भी कहा था कि यदि नरेंद्र मोदी को चाय बेचना हो तो वह कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में उसकी व्यवस्था कर देंगे. सभी जानते हैं कि कांग्रेस का 2014 में क्या हश्र हुआ. संसद में कांग्रेस केवल 44 सीटों पर सिमट कर रह गई. कहते हैं इतिहास अपने को दोहराता है. चुनावों के समय कांग्रेस का थिंक टैंक उस मानसिक रोगी की तरह हो जाता है जो नहीं जानता कि वह क्या कर रहा है. कई बार मनोरोगी आत्महत्या भी कर लेते हैं. ऐसी ही आत्महत्या का प्रयत्न इस बार फिर कांग्रेस ने कर लिया है.
कांग्रेस के युवा संगठन की ऑनलाइन मैगजीन ‘युवा देश’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चाय बेचने वाले के रूप में मजाक उड़ा कर खुद कांग्रेस ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है. युवा देश ऑनलाइन पत्रिका में युवा कांग्रेसियों ने प्रधानमंत्री का तीन तरह से मजाक उड़ाया. एक तो यह दिखाने का प्रयास किया गया कि मोदी इतने मूर्ख हैं कि उन्हें नहीं मालूम कि मीम का उच्चारण मीम है न की मेमे. दूसरा यह कि उन्हें मीम का सही उच्चारण अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बता रहे हैं कि मेमे नहीं मीम कहा जाता है, तो तीसरा उनका मजाक उड़ाते हुए थेरेसा मे से कहलवाया जाता है कि ‘तू चाय बेच’. कहना न होगा कि ‘युवा देश’ के कांग्रेसियों ने विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी का अपमान करने का घटिया काम किया.
यह सर्वविदित है
कि आज विश्व भर में मोदी ने एक प्रधानमंत्री के रूप में जो प्रतिष्ठा अर्जित की है
वह किसी से छिपी नहीं है. यह भी सभी लोग जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत
को जो सम्मान दिलाया है वह स्वतंत्रता के बाद के इतिहास में आज तक किसी
प्रधानमंत्री से संभव नहीं हुआ. यही नहीं देश की सवा सौ करोड़ जनता भी यह जानती है
कि दुनिया भर में मोदी के प्रयत्नों से भारत अग्रिम पंक्ति में शामिल हुआ. तब ऐसे
में गुजरात चुनाव के पहले कांग्रेस को मोदी के चाय बेचने पर व्यंग्य कर हाराकीरी
(आत्महत्या) करने की बहुत बड़ी हानि होना निश्चित है. यही नहीं इस मजाक पर कट्टर
मोदी विरोधी जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए
इसे कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक आत्महत्या बताया.
कांग्रेस आज किसी
एक नीति पर या एक विचारधारा पर कायम नहीं रह पा रही है. सत्ता प्राप्त करने की उसे
इतनी जल्दी है कि वह कभी अपने पुराने एजेंडे पर तो कभी अपने नए एजेंडे पर आ रही
है. जहां एक ओर गुजरात में वह जातिवादी कार्ड के तहत हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश के कंधों पर सवार होकर विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है
वहीं उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में फिर मुस्लिम तुष्टिकरण की ओर लौट आई है.
परेशान हाल कांग्रेस अभी तक यह नहीं तय कर पा रही कि चुनावों को जीतने के लिए उसे
अपनी पुरानी नीति को अपनाना है या नई नीति को. आजकल राहुल गांधी मंदिर मंदिर माथा
टेक कर, माथे पर तिलक लगवा रहे हैं. टीवी चैनलों पर
कांग्रेस के प्रवक्ता केसरिया वस्त्र धारण कर डीबेटों में हिस्सा ले रहे हैं लेकिन
यह नहीं जानते कि दिखावे की राजनीति और वास्तविकता में अंतर होता है. जनता जान रही
है के 60 सालों तक जिन्होंने मुस्लिम टोपी लगाकर
इफ्तार पार्टी आयोजित कर तुष्टिकरण किया हो वह अचानक हिंदुओं से वोट की उम्मीद में
केसरिया रंग में नहाने का दिखावा करने को मजबूर है. उत्तर
प्रदेश निकाय के चुनावों में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष राजबब्बर ने अलीगढ़ में मुस्लिम
वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश करते हुए बयान दिया कि ‘एक
बार हमारी मुट्ठियों में दम दे दो, एक बार हमारी बाजुओं को
ताकत दे दो, फिर किसी का दम नहीं कि आपके घर के फ्रिज में
कोई झांक सके कि उसके अंदर क्या रखा है’. वस्तुतः राजबब्बर
दादरी के अखलाक की गौ मांस को लेकर हुई हत्या की जनता को याद दिला कर मुस्लिम
वोटों का ध्रुवीकरण कर रहे थे. जिस तुष्टिकरण को उत्तर प्रदेश की जनता ने 2016 में खारिज कर अपार बहुमत से योगी आदित्यनाथ को सत्ता में सिरमौर बनाया उसी
तुष्टिकरण पर लौटकर कांग्रेस अपना कितना नुकसान करेगी देखने वाली देखने वाली बात
होगी. अगर कांग्रेस यह मान रही है कि उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में नेताओं के
बयान गुजरात को प्रभावित नहीं करेंगे तो यह उसकी बड़ी भूल है. कांग्रेस गुजरात में
सॉफ्ट हिंदुत्व पर तो यूपी में तुष्टिकरण की नीति पर चल कर अपनी अस्थिर नीति से खुद
का नुकसान कर रही है. निश्चित रूप से जिस तरह 2014 में चाय पर तंज करके मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस की बाट लगाई थी आज गुजरात
में मोदी पर चाय पर तंज कस कर युवा देश कांग्रेस की लुटिया डूबा रही है.
वैसे पिछले 10 सालों के यूपीए शासन में अंतिम 5 साल
कांग्रेस के भ्रष्टाचार के कारनामों का जीता जागता दस्तावेज हैं. उससे उबरने के
लिए मंदिर, पूजा, तिलक और भगवा
वस्त्रों से बहुत ज्यादा फायदा होगा ऐसा लगता नहीं.
कांग्रेस यदि यह
सोचती है कि भारत की जनता 90 के दशक की है जो एक
चुनाव के बाद अगले चुनाव में सब कुछ भुला देती है तो यह उसकी भूल है. अगर कांग्रेस
सोचती है कि जिस तरह आपातकाल लगा कर श्रीमती गांधी 1977 के चुनाव हारी थी किंतु उसके बाद 1980 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 351 सीटें
जीतकर इतिहास बनाया था तो वह अब संभव नहीं. अब जनता भूलती नहीं है, कारण यह नहीं कि उसकी याद रखने की क्षमता बढ़ गई है बल्कि यह है कि उसे
भूलने नहीं दिया जाता. जब जब भी कांग्रेस चुनाव के मैदान में उतरेगी तब तब उसके
विरोधी दल जनता को सारे घोटालों का पुण्य स्मरण कराएंगे. मौत का सौदागर, चाय बेचने वाला, सड़क का गुंडा और सैनिकों के खून की
दलाली जैसे जुमले उसे याद कराए जाएंगे. इसलिए कांग्रेस को अभी बहुत इंतजार करना
पड़ेगा उसे तब तक इंतजार करना पड़ेगा जब तक मोदी सरकार, खुद
मोदी, मोदी के मंत्री कोई हिमालयीन गलती नहीं करते.
कांग्रेस की एक
और बड़ी दिक्कत यह है कि उसके आरोपों में तथ्यात्मकता दिखाई नहीं देती. पिछले
दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव जीतने के लिए प्रधानमंत्री
मोदी पर फ्रांस से राफेल एयरक्राफ्ट खरीदने में घोटाले का आरोप लगाया कि लड़ाकू
विमानों की कीमत मात्र 526 करोड़ है जबकि सौदा 1571 करोड़ में हुआ, अर्थात मोदी ने घोटाला किया. बिना
प्रमाण के इस आरोप पर फ्रांस के एक अधिकारी ने इंडिया टुडे से बात करते हुए
कहा कि ‘मैं भारत की आंतरिक राजनीति में कुछ भी हस्तक्षेप
नहीं करना चाहता लेकिन इस डील में कुछ भी गलत नहीं हुआ है. इन लड़ाकू विमानों की
डील इनकी परफॉर्मेंस के आधार पर की गई है.’ यही नहीं फ्रांस
के राजनेताओं ने भी कहा कि राफेल डील में भारत का ही फायदा हुआ है. इनको
इनके बेहतरीन प्रदर्शन और उचित कीमत के कारण ही चुना गया है. भारत सरकार ने
भी इस डील से 12600 करोड़ की बचत होना बताया है.
कुल मिलाकर कांग्रेस तथ्यहीन आरोप लगाकर अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारती आ रही
है. सत्ताधारी दल, कांग्रेस को भ्रष्टाचार के कारण हुए हश्र
को देख कर कभी घोटाले करने की सोच भी सकेगा ऐसा संभव नहीं.
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