डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
जब पूरी दुनिया में भारत के
प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता शिखर पर है, जब विदेशी राजनेता प्रधानमंत्री मोदी
की उनके भारत की प्रगति में योगदान की सराहना करते हैं, जब
अमेरिका, रूस, फ्रांस, इंग्लैंड और इजराइल जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्ष मोदी को आगे बढ़ कर
सम्मान देते हैं, जब इवांका ट्रंप भारत में आकर मोदी के बारे
में खुले मन से मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें भारत को एक संपन्न अर्थ व्यवस्था
बनाने तथा दुनिया के लिए आशा का प्रतीक बताते हुए कहती हैं कि ‘आपने (मोदी ने) जो हासिल किया वह वाकई असाधारण है. बचपन में चाय बेचने से
लेकर भारत के प्रधानमंत्री चुने जाने तक आपके सफर ने साबित किया है कि बदलाव
मुमकिन है’, जब इवांका ट्रंप यह भी कहती हैं कि
‘आपके अपने उपक्रम और उद्यमिता तथा कड़ी मेहनत से भारत के 13 करोड़ लोग गरीबी से बाहर
आए हैं, यह उल्लेखनीय प्रगति है और मैं जानती हूं कि आपके (प्रधानमंत्री मोदी के) नेतृत्व
में यह बढ़ोतरी जारी रहेगी’, तब आत्मसंतोष और प्रसन्नता होती है. जब दुनिया के अधिकांश
देश मोदी की आतंकवाद के विरुद्ध उठाई आवाज का समर्थन कर साथ आते हैं तब लगता है कि
देश के पास मोदी के रूप में एक ऐसा नेता है जिसने अपनी पूरी सामर्थ्य से दुनिया में
ना केवल भारत का मान सम्मान बढ़ाया बल्कि भारत की सवा करोड़ जनता की इच्छाओं और आवश्यकताओं
की पूर्ति के लिए अपने को झोंक दिया है. तब यह भी लगता है कि मोदी भारत को दुनिया का
सिरमौर बनाने के लिए अपने मिशन में कहीं कोई कमी नहीं रहने देंगे.
लेकिन जितना मोदी देश के
लिए कर रहे हैं उतना ही मोदी विरोधी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरी
करने के लिए उन्हें चौतरफा घेरने का काम कर रहे हैं. यह इन विरोधियों की हताशा और
निराशा को प्रकट करता है. देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस, विरोध करने का कोई मौका
हाथ से नहीं जाने देती. वह इस बात की चिंता भी नहीं करती कि जो वह कह रही है उसका
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा. कांग्रेस यह भूल जाती है कि
चुनाव आते रहेंगे, जाते रहेंगे, जीत
हार होती रही है और होती रहेगी, किंतु देश की अस्मिता और
उसका सम्मान अक्षुण्ण रखना प्रत्येक राजनीतिक दल की जिम्मेदारी है. कांग्रेस का यह
कृत्य उसकी राष्ट्र के प्रति समर्पित छवि को धूमिल कर रहा है. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता
का मतलब यह नहीं होता कि अपने निजी स्वार्थों के लिए देश के मान सम्मान और अस्मिता
के साथ समझौता किया जाए. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का मतलब यह भी नहीं होता कि
आतंकवाद जैसे मुद्दे पर देश के विरुद्ध खड़े होकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकी जाए.
अभी पिछले शुक्रवार
को 26/11 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान ने
आतंकवाद के आरोपों से मुक्त कर जेल से रिहा कर दिया. उस पर तंज कसते हुए मोदी को
नीचा दिखाने के लिए कांग्रेस के भावी अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि ‘नरेंद्र भाई बात नहीं बनी.
टेरर मास्टरमाइंड (हाफिज सईद) फ्री हो गया. ट्रंप से आपकी ‘हगप्लोमेसी
(गले मिलने की नीति) फेल हो गई. तत्काल कुछ और हग कर लीजिए.’ क्या ऐसा कह कर राहुल ने आतंकवाद के विरुद्ध प्रधानमंत्री के कदमों का
मजाक नहीं उड़ाया. वस्तुतः भारत ने पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद का हर स्तर पर
कड़ा विरोध किया. 26 /11 मुंबई हमलों की घटना 2009 की है. तब कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी. क्या तब
तत्कालीन सरकार ने हाफिज सईद के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग नहीं की थी. क्या
हाफिज सईद के विरुद्ध आरोपों के दस्तावेज भारत ने पाकिस्तान को नहीं दिए थे. क्या
तत्कालीन भारत सरकार तब आतंकवाद के विरुद्ध पाक से नहीं लड़ रही थी. क्या यह
सिलसिला मोदी के सरकार बंनाने के पहले तक जारी नहीं रहा था. यदि तब भी भारत
पाकिस्तान के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहा था तो आज हाफिज के रिहा होने से क्या भारत की
आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई का स्वरुप बदल गया है. तब कांग्रेस को हाफिज की रिहाई पर
प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसने की क्या आवश्यकता थी. क्या केवल इसलिए कि गुजरात के
चुनावों में मोदी पर तंज कस कर राजनीतिक बढ़ोतरी हासिल करना कांग्रेस का लक्ष्य
था. यदि ऐसा था या है तो यह कांग्रेस की संकीर्ण राजनीति ही कही जाएगी. वस्तुतः
हाफिज की रिहाई तंज कसने का नहीं बल्कि रंज का विषय है. उस पर देश के हर एक नागरिक को देश
के नेतृत्व के साथ खड़ा होना चाहिए ना कि आलोचना कर उसका मजाक उड़ाना चाहिए. लेकिन
हताशा में कांग्रेस वह सब कर रही है जिससे भारत का पक्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
कमजोर पड़ रहा है और यह सब मोदी की लकीर छोटी करने के लिए किया जा रहा है.
यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी के
भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठाए गए कदमों से देश के विरोधी राजनीतिक दल इतने परेशान
हैं कि जिसकी कोई सीमा नहीं. भ्रष्टाचारियों में दहशत के कारण इतनी हताशा पैदा हो
गई है कि अब वे प्रधानमंत्री मोदी को शारीरिक हानि पहुंचाने की धमकियां तक देने
लगे हैं. भाजपा के लगातार हो रहे विस्तार और मोदी की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय
नीतियों से भारत की बढ़ रही प्रतिष्ठा से विरोधी इतने परेशान हैं कि उनके सामने
अपने अस्तित्व को बचाए रखने की समस्या खड़ी हो गई है. बिहार के लालू यादव ने तो
प्रधानमंत्री मोदी को अपना सबसे बड़ा दुश्मन घोषित कर दिया है. भ्रष्टाचार के
मामलों में पूरी तरह से फंस चुके लालू का कुनबा अब मोदी की जान का दुश्मन बन चुका
है. यही कारण है कि उनके परिवारजनों के बोल बिगड़ रहे हैं. लालू की सुरक्षा में
कटौती क्या हुई उनका पूरा कुनबा भड़क गया. वस्तुतः जेड प्लस सुरक्षा के कारण लालू
का रुतबा और रौब अब तक बरकरार रहा लेकिन केंद्र सरकार ने जेड प्लस सुरक्षा और
कमांडो हटाने का फैसला लेकर लालू के रुतबे को कम कर दिया. इस पर लालू के दोनों
बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘यदि उनके पापा
के साथ कुछ अनहोनी होती है तो उसके जिम्मेदार नरेंद्र मोदी होंगे’. यही नहीं तेज प्रताप ने आपा खोते हुए तो यहां तक कह दिया कि ‘हम इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे और मोदी की खाल उधड़वा देंगे’. यही नहीं लालू की पत्नी बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी ने
अपने गैर जिम्मेदार बयान में मोदी को शारीरिक हानि पहुंचाने की बात करते हुए कहा
कि ‘मोदी की गर्दन और दोनों हाथ कटवा कर अलग कर देंगे,
इसको अंजाम देने के लिए यहां के (बिहार के) लोग पहले से ही तैयारी
करके बैठे हैं.’ कहना ना होगा कि देश में जिन राजनीतिक दलों
और नेताओं का मोदी के आने के पहले तक वर्चस्व था वह लगभग या तो खत्म हो चुका है या
होने की कगार पर है. वे सब अब मोदी से निजी दुश्मनी पर उतर आए हैं. मोदी के
विरुद्ध लगातार उठ रहे विरोधी स्वर इस एक बात की ओर संकेत करते हैं कि मोदी के
द्वारा किए जा रहे जनहित के कामों से इनका ग्राफ और लोकप्रियता को लगातार हानि हो
रही है, जिससे इनका जनाधार कमजोर होता जा रहा है. यही कारण
है कि अब ओछी राजनीति को विरोधियों ने अपना हथियार बना लिया है. कितनी विचित्र बात
है कि सारे विरोधी मोदी को जितना सामाजिक, आर्थिक, कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असफल बताने का प्रयत्न कर रहे हैं उतना
ही मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल बताया जा रहा है. नोटबंदी और जीएसटी को लेकर
विरोधियों द्वारा भ्रामक प्रचार किया जा रहा है, जबकि
अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां इन्हें भारत के हित में मान रही हैं. अमेरिका की
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 13 साल बाद भारत की रेटिंग को
उन्नत करते हुए बीएए-3 से बीएए- 2 में स्थान दिया है, तो वहीं दुनिया
के सबसे बड़े आर्थिक मंच ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ ने मोदी सरकार को दुनिया की तीसरी सबसे भरोसेमंद सरकार बताया है. कहना ना
होगा कि आज मोदी, विरोधियों की आंख की किरकिरी बनते जा रहे
हैं. लेकिन जब तक देश की जनता उनके साथ है मोदी इसी तरह देश को आगे बढ़ाते रहेंगे.
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जवाब देंहटाएंThanks kundan
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