डॉ. हरिकृष्ण
बड़ोदिया
संसद के पहले 4 दिन दोनों सदनों की
कार्यवाही ठप्प रही. कांग्रेस जो संख्या की दृष्टि से सबसे कमजोर लेकिन सबसे
पुरानी राजनीतिक पार्टी के लिहाज से प्रमुख विपक्षी पार्टी है, इस बात पर संसद की
कार्यवाही नहीं चलने दे रही थी कि प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात चुनाव प्रचार के
दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अपमान किया. वस्तुतः प्रधानमंत्री मोदी
ने एक चुनावी सभा में यह कहा था कि कांग्रेस पाकिस्तान से मिलकर साजिश कर रही है.
असल में यह सब घटनाक्रम ऐसे समय में आया जब गुजरात चुनावों के बीच कांग्रेस ने
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री कसूरी और पाक उच्चायुक्त के साथ पूर्व
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और भारत के एक पूर्व
सेनाध्यक्ष सहित लगभग 19
कांग्रेसियों ने 6 दिसंबर को मणिशंकर अय्यर के निवास पर एक मीटिंग में भाग लिया. वर्तमान हालातों में जब भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तल्ख हैं, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव है और तब जब देश में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव चल रहे थे तब कांग्रेसियों की पाकिस्तानियों से क्यों कर मीटिंग हुई इस पर सवाल उठना लाजमी थे. इस मीटिंग की खबरें जब लीक होने लगीं तो सबसे पहले कांग्रेस के आनंद शर्मा ने हमेशा की तरह कहा कि ऐसी कोई मीटिंग हुई ही नहीं. किंतु जब इस बात के प्रमाण दिए गए तो स्वीकार किया गया हां मीटिंग हुई, और यह एक डिनर पार्टी थी. तब सवाल तो उठेंगे ही. लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में कांग्रेस इस बात पर अड़ी हुई थी कि प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. मनमोहन सिंह का अपमान किया. सच्चाई तो यह है कि कांग्रेसियों ने जो मीटिंग की उसमें क्या बातें हुई यह मायने नहीं रखता मायने यह रखता है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वहां क्यों मौजूद थे. क्या यह इस बात की ओर संकेत नहीं करता कि पूर्व प्रधानमंत्री को आगे रखकर कांग्रेसियों ने एक सुरक्षा कवच तैयार किया. भले ही यह कहा जाए की इस मीटिंग में गुजरात के चुनाव पर चर्चा नहीं हुई तो फिर ऐसी कौन सी बातें थी जिनकी विदेश विभाग को जानकारी दिए बिना पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व उपराष्ट्रपति का मिलना इतना आवश्यक था. प्रधानमंत्री व्यक्तिगत तौर पर केवल कांग्रेसी या भाजपाई नहीं होता, वह देश का प्रधानमंत्री होता है, उसने अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली हुई होती है. उसके किसी देश से मिलने या ना मिलने के प्रोटोकॉल होते हैं. क्या पूर्व प्रधानमंत्री को इस सब का ध्यान नहीं रखना चाहिए था. प्रधानमंत्री मोदी का यह आरोप कि कांग्रेस साजिश कर रही है इसलिए प्रासंगिक हो जाता है क्योंकि गुजरात चुनावों के दौरान इस मीटिंग के पहले पाकिस्तान ने गुजरात चुनावों में काफी दिलचस्पी ली थी और पाकिस्तान के एक सैनिक अधिकारी ने कांग्रेसियों से मांग की थी कि गुजरात में कांग्रेस के अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए. जब पाकिस्तान गुजरात के चुनावों में अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर सकता है तो यह क्यों ना माना जाए कि 6 दिसंबर को मणिशंकर के निवास की बैठक में चुनाव पर चर्चा नहीं हुई होगी. ऐसे में यदि मोदी ने चुनावी सभा में कह दिया कि षड्यंत्र किया जा रहा है तो क्या गलत कहा और यदि ऐसा नहीं था तो फिर कांग्रेस को आगे आकर बताना चाहिए था कि मीटिंग का लब्बोलुआब क्या था. आज कांग्रेस चीख चीख कर कह रही है कि मोदी ने मनमोहन का अपमान किया कहां तक उचित है?
कांग्रेसियों ने 6 दिसंबर को मणिशंकर अय्यर के निवास पर एक मीटिंग में भाग लिया. वर्तमान हालातों में जब भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तल्ख हैं, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव है और तब जब देश में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव चल रहे थे तब कांग्रेसियों की पाकिस्तानियों से क्यों कर मीटिंग हुई इस पर सवाल उठना लाजमी थे. इस मीटिंग की खबरें जब लीक होने लगीं तो सबसे पहले कांग्रेस के आनंद शर्मा ने हमेशा की तरह कहा कि ऐसी कोई मीटिंग हुई ही नहीं. किंतु जब इस बात के प्रमाण दिए गए तो स्वीकार किया गया हां मीटिंग हुई, और यह एक डिनर पार्टी थी. तब सवाल तो उठेंगे ही. लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में कांग्रेस इस बात पर अड़ी हुई थी कि प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. मनमोहन सिंह का अपमान किया. सच्चाई तो यह है कि कांग्रेसियों ने जो मीटिंग की उसमें क्या बातें हुई यह मायने नहीं रखता मायने यह रखता है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वहां क्यों मौजूद थे. क्या यह इस बात की ओर संकेत नहीं करता कि पूर्व प्रधानमंत्री को आगे रखकर कांग्रेसियों ने एक सुरक्षा कवच तैयार किया. भले ही यह कहा जाए की इस मीटिंग में गुजरात के चुनाव पर चर्चा नहीं हुई तो फिर ऐसी कौन सी बातें थी जिनकी विदेश विभाग को जानकारी दिए बिना पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व उपराष्ट्रपति का मिलना इतना आवश्यक था. प्रधानमंत्री व्यक्तिगत तौर पर केवल कांग्रेसी या भाजपाई नहीं होता, वह देश का प्रधानमंत्री होता है, उसने अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली हुई होती है. उसके किसी देश से मिलने या ना मिलने के प्रोटोकॉल होते हैं. क्या पूर्व प्रधानमंत्री को इस सब का ध्यान नहीं रखना चाहिए था. प्रधानमंत्री मोदी का यह आरोप कि कांग्रेस साजिश कर रही है इसलिए प्रासंगिक हो जाता है क्योंकि गुजरात चुनावों के दौरान इस मीटिंग के पहले पाकिस्तान ने गुजरात चुनावों में काफी दिलचस्पी ली थी और पाकिस्तान के एक सैनिक अधिकारी ने कांग्रेसियों से मांग की थी कि गुजरात में कांग्रेस के अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए. जब पाकिस्तान गुजरात के चुनावों में अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर सकता है तो यह क्यों ना माना जाए कि 6 दिसंबर को मणिशंकर के निवास की बैठक में चुनाव पर चर्चा नहीं हुई होगी. ऐसे में यदि मोदी ने चुनावी सभा में कह दिया कि षड्यंत्र किया जा रहा है तो क्या गलत कहा और यदि ऐसा नहीं था तो फिर कांग्रेस को आगे आकर बताना चाहिए था कि मीटिंग का लब्बोलुआब क्या था. आज कांग्रेस चीख चीख कर कह रही है कि मोदी ने मनमोहन का अपमान किया कहां तक उचित है?
मनमोहन एक सच्चे, नेक दिल और सरल इंसान माने
जाते हैं इसमें कोई शक नहीं. किंतु इससे बड़ी सच्चाई यह भी है कि आज से पहले तक
उन्होंने कभी मान अपमान को महत्व नहीं दिया. अन्यथा कोई कारण नहीं था कि जब राहुल
गांधी ने भरी सभा में सबके सामने अध्यादेश की सांकेतिक प्रति फाड़ कर फेंक दी थी
तब अगर मनमोहन सिंह को अपने मान अपमान की इतनी चिंता हुई होती तो तब उन्हें एक
प्रधानमंत्री के रुप में राहुल के उस कृत्य का विरोध कर अपने इस्तीफे की पेशकश
करना चाहिए थी कि यदि राहुल माफी नहीं मांगेंगे तो वह इस्तीफा दे देंगे. तब मनमोहन
सिंह जी का आत्मसम्मान आहत नहीं हुआ था. वस्तुतः यूपीए के 10 सालों तक डॉक्टर
सिंह बिना रीढ़ की हड्डी वाले प्रधानमंत्री बने रहे, जिनका शीर्ष कांग्रेसियों ने
खूब अपमान किया. उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल में कई अवसर ऐसे रहे जहां वे सोनिया
जी और राहुल के सामने हाथ जोड़े खड़े दिखाई देते रहे. तब उन्हें अपने सम्मान का
ख्याल कभी नहीं आया. सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस पाकिस्तानियों के साथ हुई मीटिंग
को जस्टिफाई करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मुखौटा बना रही थी.
कौन नहीं जानता कि कांग्रेस के बड़े बड़े नेता
हमेशा से प्रधानमंत्री मोदी का द्वेष की
हद तक विरोध करते हैं. यदि ऐसा नहीं होता तो मणिशंकर अय्यर जैसे कांग्रेस के शीर्ष
नेता 2015 में अपनी
पाकिस्तान की यात्रा के दौरान पाक मीडिया से यह नहीं कहते कि आप मोदी को हटाइए. तब
मणिशंकर ने सवा करोड़ देश के प्रधानमंत्री मोदी का ही नहीं बल्कि देश की समूची
जनता का अपमान नहीं किया था क्या. जिसे देश की जनता ने बहुमत से चुना हो उसे हटाने
के लिए मणिशंकर पाकिस्तान से मदद मांगे, तब वह न केवल मोदी बल्कि पूरे देश की अवाम
का अपमान कर रहे थे. जब आप पाकिस्तान जा कर इस तरह का षड्यंत्र रचने में भूमिका कर
सकते हैं तो क्या आप गुजरात चुनाव के लिए उन्ही मणिशंकर के निवास पर साजिश नहीं कर
सकते हैं, यह कैसे मान लिया जाए. जब भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की तब
तत्कालीन उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि प्रधानमंत्री सैनिकों के खून की
दलाली करते हैं तब क्या उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का अपमान नहीं किया था. क्या
राहुल ने आज तक प्रधानमंत्री मोदी से उस बात के लिए माफी मांगी है. केवल 6 दिसंबर की बैठक ही
नहीं बल्कि राहुल गांधी ने तो बिना विदेश विभाग को सूचित किए डोकलाम तनाव के दौरान
चीन के उच्चायोग के अधिकारी से गुप चुप भेंट की तब क्या वे देश की परिपाठी के
विरुद्ध कार्य नहीं कर रहे थे. इस मीटिंग को भी पहले छुपाया गया और यहां तक कहा
गया की ऐसी कोई मीटिंग हुई ही नहीं थी. किन्तु जब प्रमाण सामने आने लगे तब स्वीकार
किया गया की मीटिंग हुई. वस्तुतः कांग्रेस अपनी विश्वसनीयता खुद अपने ही कृत्यों से
समाप्त करती रहती है. तब ऐसे में यह क्यों न माना जाए कि 6 दिसंबर को भी पाकिस्तानियों से मिलकर
प्रधानमंत्री मोदी के विरुद्ध पाक के साथ कोई साजिश रची जा रही थी. यही नहीं पूर्व
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए संसद में जब
कहा कि नोटबंदी संगठित लूट है, तब वे क्या प्रधानमंत्री मोदी का सम्मान कर रहे थे.
नोटबंदी जैसे बड़े निर्णय को संगठित लूट कहने से बड़ा कोई अपमान हो सकता है क्या.
आप सरकार की किसी नीति का विरोध करने का अधिकार रखते हैं, उनकी आलोचना कर सकते हैं.
लेकिन सरकार पर नोटबंदी को लूट जैसा संगीन आरोप लगाना कहां तक उचित माना जा सकता
है. वस्तुतः कांग्रेस की आदत बन गई है कि वह जब कुछ कर नहीं पा रही तब ऐसे प्रपंच
रच कर जनता का ध्यान खींचने का काम करती है. संसद की कार्यवाही ठप करना इसी कड़ी
में किया जाने वाला काम है. जिस संसद की कार्यवाही पर एक दिन में देश की जनता के टैक्स से 15 करोड़ रुपए खर्च
होते हों उसे इन फिजूल के प्रपंचों से बर्बाद किए जाए कहां तक उचित है? कांग्रेस
विगत 3 सालों में ऐसे कई
कृत्य कर चुकी है जिससे प्रधानमंत्री मोदी का अपमान हुआ है. लेकिन उसने या उसके
नेताओं ने कभी माफी नहीं मांगी तो प्रधानमंत्री मोदी चुनाव प्रचार के दौरान कही गई
बातों के लिए क्यों माफी मांगे. कभी कांग्रेस का युवा संगठन ‘युवा देश’ प्रधानमंत्री
मोदी को कहता है कि तू चाय बेच, कभी प्रियंका तो कभी सोनिया जी प्रधानमंत्री मोदी
को नीच कहती हैं. कभी मणिशंकर कहते हैं की ‘इस किस्म का नीच आदमी नहीं देखा’ कभी वे
कहते हैं कि अगर मोदी चाहें तो उन्हें चाय बेचने के लिए स्टाल की व्यवस्था करा
देंगे. तब क्या कांग्रेस मोदी का सम्मान कर रही थी. सच्चाई तो यह है कि मणिशंकर
अय्यर के निवास पर हुई बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसलिए ले जाया
गया कि उनकी उपस्थिति की वजह से कोई सवाल नहीं उठेंगे. लेकिन यह संभव नहीं था.
वस्तुतः मनमोहन सिंह की यह कई अवसरों पर की गई गलतियों की तरह ही की गई एक गलती है.
जिस पर मोदी से माफी की मांग करना किसी भी दृष्टि से तर्कसंगत नहीं है.
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