डॉ. हरिकृष्ण
बड़ोदिया
यह कैसा देश
है जहां एक समुदाय विशेष गणतंत्र दिवस मनाने पर नाराज होता है. यहां भारत माता की जय और वंदे मातरम के घोष इस समुदाय को जहर
भरे तीरों की तरह चुभते हैं. यह समुदाय विशेष बहुसंख्यकों से उनकी
अभिव्यक्ति की आजादी पर पिस्तौल तान कर खड़ा हो जाता है और यह कैसा बहुसंख्यक समाज
है जो दब्बू बनकर हर जुल्म सहने को तत्पर है. यह कैसा लोकतंत्र
है जहां सरकारें समुदाय विशेष के प्रति नरम रवैया बनाए रखती हैं. यह कैसा लोकतंत्र है जिसमें स्वेच्छाचारिता का नंगा नाच होता
है और सरकारें कानो में रुई लगा कर सब कुछ देखती रहती हैं. दुनिया में शायद ही ऐसा कोई देश होगा जिसमें अल्पसंख्यक