डॉ. हरिकृष्ण
बड़ोदिया
जब से अमेरिका ने पाकिस्तान को आर्थिक सहायता बंद करने का ऐलान
किया है तब से वह इसका गुस्सा भारत-पाक नियंत्रण रेखा पर उतारने पर आमादा है.
लेकिन वह नहीं जानता कि जिस गुस्से का वह इज़हार कर रहा है उससे उसे हमेशा से अधिक
नुकसान उठाना होगा. पिछले 1 सप्ताह में पाकिस्तान ने भारतीय नियंत्रण रेखा पर अंधाधुंध
फायरिंग कर युद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं. पाकिस्तानी सेना लगातार सीमा पार से
भारी गोलाबारी कर रही है जिससे ना केवल भारतीय सेना के जवान शहीद हुए हैं बल्कि कई
कश्मीरी नागरिक भी मारे गए हैं. एक के बदले 10 के तहत आज तक भारतीय फौज ने कई पाकिस्तानी रेंजरों को मौत
के घाट उतारा है साथ ही उसकी कई चौकियां नष्ट कर दी गई हैं. लेकिन पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं ले रहा. आश्चर्य तो तब होता है जब लगातार नुकसान उठाने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हेकड़ी से बाज नहीं आता. भारत हमेशा से सहअस्तित्व और भाईचारे में विश्वास करने वाला देश है लेकिन दुश्मन के साथ दुश्मनी और दोस्त के साथ दोस्ती निभाना उसे अच्छी तरह आता है. मोदी शासन के विगत 3 सालों में भारत पाक सीमा पर इतने हालात नहीं बिगड़े थे जितने पिछले दो-तीन महीनों में बिगड़े हैं. हालांकि इन बीते महीनों में भारतीय फौज ने आतंकवादी घुसपैठियों को खोज खोज कर मारा है. संभवत: जितने भी आतंकी घुसपैठ कर कश्मीर में दाखिल हुए उन सभी को भारतीय फौज ने 72 हूरों के पास पहुंचाया है. यही कारण है कि पाकिस्तान की आईएसआई, पाकिस्तानी फौज और आतंकवादी संगठन बिलबिला उठे हैं. जिसकी बौखलाहट में पाकिस्तान सीमा पर भारी गोलाबारी कर रहा है. परिणाम स्वरुप पाकिस्तान भारत से छद्म युद्ध लड़ने पर आमादा हो गया है.
के घाट उतारा है साथ ही उसकी कई चौकियां नष्ट कर दी गई हैं. लेकिन पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं ले रहा. आश्चर्य तो तब होता है जब लगातार नुकसान उठाने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हेकड़ी से बाज नहीं आता. भारत हमेशा से सहअस्तित्व और भाईचारे में विश्वास करने वाला देश है लेकिन दुश्मन के साथ दुश्मनी और दोस्त के साथ दोस्ती निभाना उसे अच्छी तरह आता है. मोदी शासन के विगत 3 सालों में भारत पाक सीमा पर इतने हालात नहीं बिगड़े थे जितने पिछले दो-तीन महीनों में बिगड़े हैं. हालांकि इन बीते महीनों में भारतीय फौज ने आतंकवादी घुसपैठियों को खोज खोज कर मारा है. संभवत: जितने भी आतंकी घुसपैठ कर कश्मीर में दाखिल हुए उन सभी को भारतीय फौज ने 72 हूरों के पास पहुंचाया है. यही कारण है कि पाकिस्तान की आईएसआई, पाकिस्तानी फौज और आतंकवादी संगठन बिलबिला उठे हैं. जिसकी बौखलाहट में पाकिस्तान सीमा पर भारी गोलाबारी कर रहा है. परिणाम स्वरुप पाकिस्तान भारत से छद्म युद्ध लड़ने पर आमादा हो गया है.
पाकिस्तान ने बीते शुक्रवार को जम्मू क्षेत्र को
अपना निशाना बनाया जिसमें भारतीय फौज के दो जवान शहीद हुए तो वहीं दो नागरिकों की
मौत हुई और 22 लोग घायल हुए. नापाक पाकिस्तान ने 50 से अधिक चौकियों और 100 से अधिक गावों पर मोर्टारों से हमला किया. अंतर्राष्ट्रीय सीमा
से पूंछ नियंत्रण रेखा तक 18 सेक्टरों में पाकिस्तान की गोलीबारी से ऐसा लग रहा है कि अघोषित
युद्ध शुरू हो गया है. यही कारण है कि क्षेत्रों से निवासियों को हटा लिया गया है.
दक्षिण कश्मीर में भी आतंकियों ने ग्रेनेड से हमला किया जिससे 8 पुलिसकर्मी घायल हो
गए. इन सब से यह लगता है कि पाकिस्तान ने पूरे कश्मीर को निशाने पर ले रखा है.
यह सही है कि भारतीय सेना लगातार ईंट का जवाब पत्थर
से दे रही है लेकिन यह तो पाक द्वारा की जाने वाली फौजी कार्यवाही का जवाब मात्र
है. अब जवाब देने भर से काम नहीं चलेगा बल्कि भारत को अंदर घुसकर वार करने की
रणनीति अपनानी होगी. जब पाकिस्तान हमारे 19 सेक्टरों में सात चौकियों और 120 गावों पर लगातार गोली दाग रहा है तो रक्षात्मक होकर
केवल गोलीबारी का जवाब देना किसी भी स्थिति में उचित नहीं माना जा सकता. आज हजारों
कश्मीरी नागरिकों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है जो हमारे रक्षात्मक रवैये का ही परिणाम है. यदि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर तबाही
मचाई होती तो शायद वह ऐसी हिमाकत नहीं करता.
यह सही है कि पाकिस्तान एक परमाणु हथियार संपन्न
देश है. लेकिन इतना ही यह भी सही है कि उसकी फौज, आईएसआई, उसके आतंकी संगठन और
यहां तक कि उसके नेता सब के सब सिरफिरे हैं. जबसे देश में मोदी राज की स्थापना हुई
है तब से पाकिस्तान के दिमाग में यही एक बात बैठ गई है कि भारत में हिंदुत्ववादी
शासकों का दौर है और हिंदू और हिंदुस्तान उसके दुश्मन हैं. यही कारण है कि वह एनकेन
प्रकारेण न केवल दुश्मनी की बातें करता है बल्कि वह लगातार परमाणु युद्ध की धमकी
भी देता है. भारत को भी अब मान लेना चाहिए कि पाकिस्तान एक कुत्ते की पूंछ है और
इसे सीधा नहीं किया जा सकता. इसलिए दुश्मनी का जबाब दुश्मनी की इंतहा की हद तक जा
कर दिया जाना जरूरी है. पाकिस्तान गाहे-बगाहे परमाणु युद्ध की धमकियां देता रहता
है किंतु यह नहीं जानता कि परमाणु युद्ध होने पर भारत का भले ही नुकसान होगा,
जनहानि होगी किंतु तब भी भारत की 130 करोड़ जनसंख्या में से आधी जनसंख्या तो बची
ही रहेगी. किंतु पाकिस्तान का दुनिया के नक्शे से नाम ही खत्म हो जाएगा. भारत
हमेशा से अपने पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते रखने की बात करता रहा है. प्रधानमंत्री
मोदी ने सत्ता संभालने के साथ ही पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते की कवायद शुरू की थी.
न केवल उन्होंने पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया
था बल्कि सारे प्रोटोकॉल तोड़कर वह खुद शरीफ के यहां आयोजित विवाह समारोह में गए
थे. यह व्यक्तिगत मित्रता की खातिर नहीं था बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों की
सौहार्दपूर्ण शुरुआत हो इसलिए मोदी द्वारा उठाया गया कदम था. जिस की आलोचना भारत
में मोदी विरोधी दल हमेशा करते हैं. लेकिन वास्तव में मोदी की सोच यही थी कि
पाकिस्तान से रिश्ते सामान्य हों और दोनों देश अच्छे पड़ोसी की तरह रहें. लेकिन
पाकिस्तान इसे मोदी की कमजोरी समझता रहा. यह सही है कि भारत सरकार ने सेना को खुली
छूट दे रखी है लेकिन उतना ही यह भी सही है कि जब तक फ़ौज को पाक में घुसकर सैन्य
कार्यवाही करने के स्थाई आदेश नहीं मिलेंगे तब तक पाकिस्तान की अक्ल को ठिकाने
नहीं लगाया जा सकता. हमें अब रक्षात्मक नहीं बल्कि आक्रामक रुख अख्तियार करना होगा.
पिछले दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने एक बार फिर परमाणु
युद्ध की धमकी दी है. जिसका जवाब हालांकि जनरल बिपिन रावत ने दिया था. जिसमें
उन्होंने कहा था कि ‘हम यह नहीं कह सकते कि क्योंकि पाकिस्तान के पास परमाणु
हथियार हैं इसलिए हम सीमा पार नहीं करेंगे, लेकिन पाकिस्तान के लिए इतना भर काफी
नहीं है. उस पर तो बेइंतहा फौजी कार्यवाही होनी ही चाहिए. वर्तमान हालातों को देखें
तो लगता है कि पाकिस्तान यह अच्छी तरह जान गया है कि भारत ने अघोषित रूप से उसे
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी देश घोषित करा दिया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका
सिवाय चीन के ऐसा कोई मित्र नहीं जो उसकी मदद कर सके. ऐसे में वह बौखला कर अपनी
सारी ताकत से सीमा पर हमला करेगा क्योंकि विरोध करने का उसके पास इसके अलावा कोई
विकल्प नहीं बचा है. यदि इसे सबक नहीं सिखाया गया तो यह हमारे लिए ना केवल घातक है
बल्कि असम्मानजनक भी. इन हालातों को देख कर अब यही एक रास्ता बचता है कि भारत 2018 में पाकिस्तान
से आर-पार की लड़ाई लड़ ले. ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी.
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