डॉ. हरिकृष्ण
बड़ोदिया
यूं तो भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नई
बात नहीं है. दशकों से यह सिलसिला बिना रुके जारी है किंतु जब से देश में मोदी
सरकार सत्ता में है तब से पाकिस्तान ज्यादा बौखला गया है. मोदी एक ऐसे नेता हैं जो
सह अस्तित्व में विश्वास के साथ-साथ देश के गौरव और सम्मान पर चोट बर्दाश्त नहीं
करते. उनके सह अस्तित्व में विश्वास का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि
उन्होंने अपने सत्तारोहण के साथ ही तत्कालीन पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को न केवल
अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया बल्कि वे नवाज की बेटी की शादी में अपने
विदेश दौरे से लौटते समय सारे प्रोटोकॉल तोड़कर पाकिस्तान गए. ये दो ऐसे उदाहरण है
जिन्हें लेकर देश का विपक्ष मोदी पर फब्तियां कसता रहता है.
वस्तुतः प्रधानमंत्री मोदी की इस सहृदयता और पड़ोसियों से अच्छे संबंधों की कवायद को पाकिस्तान ने भारत की कमजोरी समझा. लेकिन मोदी एक ऐसे सशक्त नेता है जो दबावों में ज्यादा मुखर होकर नीतियां बनाते हैं यही कारण है कि जैसे जैसे पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध आतंकवाद को बढ़ाया वैसे वैसे मोदी की नीति के तहत उसे सेना ने माकूल और कठोर जवाब दिया. जितनी पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियां बढ़ीं उतनी ही तीव्र और कठोर जवाबी कार्यवाही सेना द्वारा की गई जो पाकिस्तान को नागवार गुजर रही है. यही कारण है कि उसने लगातार नियंत्रण रेखा पर फायरिंग में वृद्धि की. यही नहीं लगातार घुसपैठ कर आतंकियों को इस पार भेजा जिसका परिणाम सबके सामने है कि अब आतंकी आते हैं तो उन्हें सीधे मौत के घाट उतार दिया जाता है. लेकिन पाकिस्तान की हठधर्मिता का यह इलाज पर्याप्त नहीं माना जा सकता. लगातार सीजफायर का उल्लंघन, सीमा पार से घुसपैठ और सीमा पर गोलीबारी अब बर्दाश्त के बाहर है. पिछले एक पखवाड़े में पाकिस्तान की तरफ से न केवल नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी जारी है बल्कि आतंकी गतिविधियां लगातार बढ़ी हैं. पिछले शनिवार को जम्मू के सुंजवां स्थित भारतीय सेना के कैंप पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने फिदायीन हमला किया था. हालांकि इस आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन में तीन आतंकी मारे गए किंतु जवाबी कार्रवाई में सेना के 6 जवानों सहित 7 लोग शहीद हो गए जो चिंताजनक है. पिछले 1 सप्ताह में ऐसा कोई दिन नहीं गया जब सेना ने सर्च ऑपरेशन नहीं चलाया हो.
वस्तुतः प्रधानमंत्री मोदी की इस सहृदयता और पड़ोसियों से अच्छे संबंधों की कवायद को पाकिस्तान ने भारत की कमजोरी समझा. लेकिन मोदी एक ऐसे सशक्त नेता है जो दबावों में ज्यादा मुखर होकर नीतियां बनाते हैं यही कारण है कि जैसे जैसे पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध आतंकवाद को बढ़ाया वैसे वैसे मोदी की नीति के तहत उसे सेना ने माकूल और कठोर जवाब दिया. जितनी पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियां बढ़ीं उतनी ही तीव्र और कठोर जवाबी कार्यवाही सेना द्वारा की गई जो पाकिस्तान को नागवार गुजर रही है. यही कारण है कि उसने लगातार नियंत्रण रेखा पर फायरिंग में वृद्धि की. यही नहीं लगातार घुसपैठ कर आतंकियों को इस पार भेजा जिसका परिणाम सबके सामने है कि अब आतंकी आते हैं तो उन्हें सीधे मौत के घाट उतार दिया जाता है. लेकिन पाकिस्तान की हठधर्मिता का यह इलाज पर्याप्त नहीं माना जा सकता. लगातार सीजफायर का उल्लंघन, सीमा पार से घुसपैठ और सीमा पर गोलीबारी अब बर्दाश्त के बाहर है. पिछले एक पखवाड़े में पाकिस्तान की तरफ से न केवल नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी जारी है बल्कि आतंकी गतिविधियां लगातार बढ़ी हैं. पिछले शनिवार को जम्मू के सुंजवां स्थित भारतीय सेना के कैंप पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने फिदायीन हमला किया था. हालांकि इस आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन में तीन आतंकी मारे गए किंतु जवाबी कार्रवाई में सेना के 6 जवानों सहित 7 लोग शहीद हो गए जो चिंताजनक है. पिछले 1 सप्ताह में ऐसा कोई दिन नहीं गया जब सेना ने सर्च ऑपरेशन नहीं चलाया हो.
यह तो
निश्चित मानकर चलना होगा कि भारतीय सेना भले ही एक के बदले 10 के ऑपरेशन ऑल आउट के
तहत चुन-चुन कर आतंकियों को मार रही है किंतु यह सिलसिला अंतहीन है क्योंकि
पाकिस्तान इसके बदले में रोज-रोज आतंकियों को घुसपैठ कराने से बाज नहीं आ रहा.
उत्तरी कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल डी अनबू का कहना है कि घुसपैठ को पूरी तरह से रोक पाना संभव नहीं है
क्योंकि सीमा पार आतंकियों की संख्या कभी कम नहीं होती. कश्मीर में जितने आतंकी
मारे जाते हैं उससे कई गुना अधिक आतंकी प्रशिक्षण लेकर घुसपैठ के लिए सीमा पर
तैयार रहते हैं. आज की स्थिति में लगभग 400 से अधिक आतंकी घुसपैठ की फिराक में बैठे
हैं. आशय साफ है कि भारत की सेनाएं कश्मीर में जितने आतंकियों का सफाया करती है
उससे कई गुना आतंकी कश्मीर में उत्पात मचाने के लिए तैयार रहते हैं. अभी तक यह
माना जाता था कि पाक आतंकी संगठनों में वैचारिक मतभेदों के कारण एक दूसरे में कोई
समन्वय नहीं होता और यह अपने-अपने दिशा-निर्देशों से अलग-अलग हमले करते हैं. लेकिन
अब जो बात सामने आ रही है और जैसा कि जनरल डी अनबू कहते हैं कि अब हिजबुल
मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा घाटी में एक दूसरे से जुड़कर काम कर
रहे हैं, ऐसे में सेना के ऊपर ज्यादा दबाव है. हालांकि इससे निपटने के लिए सेना
पूरी तरह तैयार है और आतंकी वापस नहीं जा सकते लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि
क्या सेना केवल एक तरफा बचाव के लिए काम करे. पाकिस्तान आतंकी हमला करता रहे और हम
अपना बचाव करते रहें. अब यह सिलसिला बर्दाश्त के बाहर है.
आज कश्मीर में भारतीय सेना दो मोर्चों पर लड़
रही है एक तो वह पाकिस्तानी आतंकियों से कश्मीरियों की सुरक्षा कर रही है तो दूसरी
ओर कश्मीर के स्थानीय आतंकियों से लोहा ले रही है क्योंकि कश्मीर में स्थानीय
आतंकियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. डी अनबू के अनुसार वर्तमान में कश्मीर
में लगभग 220 स्थानीय आतंकी
सक्रिय हैं. भले ही कहा जाए कि हमारी सेना मुंहतोड़ जवाब दे रही है लेकिन जवाब
देने की नीति से पाकिस्तान कभी सुधर नहीं सकता. जरूरत अब आक्रामक बनने की है. जब
तक भारत पाकिस्तान पर छोटे-छोटे हमले कर उसे परेशान नहीं करेगा तब तक पाकिस्तान अपनी
हरकतों से बाज नहीं आएगा. स्थितियां ऐसी पैदा की जाएं कि भारत छोटे-छोटे हमले करे
और पाकिस्तान को जवाब देते ना बने.
यह सही है कि पाकिस्तान आज दुनिया भर के देशों
में अघोषित रूप से एक आतंकी देश माना जाने लगा है और यही कारण है कि अमेरिका जैसे
देश ने उसे आर्थिक मदद देने से हाथ खींच लिए हैं. किंतु इसके बावजूद भी पाकिस्तान
की आतंकी भेजने की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है बल्कि वह लगातार भारत को धमकी
देने से बाज नहीं आ रहा है. जब भारत ने सुंजवां आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को
जिम्मेदार ठहराया तो पाकिस्तान फिर बौखला गया और जवाब में पाक रक्षा मंत्री खुर्रम
दस्तगीर ने कहा कि ‘भारत की किसी भी कार्रवाई का जवाब दिया जाएगा. यह धमकी अब
हल्के में नहीं ली जा सकती क्योंकि जैसा कि अमेरिका के नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर
डैन कॉस्ट का कहना है कि ‘पाकिस्तान लगातार नए तरह के परमाणु हथियार विकसित कर रहा
है जो क्षेत्र के लिए बड़ी जोखिम से कम नहीं हैं’ तब ऐसे में भारत को कोई कठोर कदम
उठाना आवश्यक होगा जिससे पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सके.
पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने पाकिस्तान
को सबक सिखाया जरूर था किंतु उसके बाद से भारत केवल बचाव कर रहा है जो भारत जैसे
सशक्त और सक्षम देश के लिए काफी नहीं है. अब तो भारत का हर नागरिक उस दिन की
प्रतीक्षा कर रहा है जब भारत पाकिस्तान पर हमला करे. यह काम मोदी की दृढ़
इच्छाशक्ति के द्वारा संभव है. आज विश्व का लगभग हर देश आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है
और इस एकजुटता को बनाने में मोदी ने कड़ी मेहनत की है. तब यदि मोदी पाकिस्तान के
विरुद्ध हमला करने का निर्णय लेते हैं तब भारत के इस कदम का विरोध संभवत: ना के
बराबर होगा.
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