डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
अब यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है कि 2019 के लोकसभा
चुनाव में पूरा विपक्ष मोदी के विरुद्ध ताल ठोकते दिखना चाहता है. निसंदेह आज मोदी
जिस मुकाम पर हैं उनसे ईर्ष्या होना स्वाभाविक है. 2014 में मोदी ने देश की विपक्षी पार्टियों को जो
धूल चटाई थी उससे उबरने के लिए सारा विपक्ष छटपटा रहा है और यह छटपटाहट विगत एक दो महीनों से सामने दिखाई भी दे रही है. गुजरात विधानसभा चुनाव में
कांग्रेस ने जो प्रदर्शन किया उससे वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस में कुछ आशा की
किरण जगी. किंतु उत्तर पूर्व के तीन राज्यों त्रिपुरा, नागालैंड, और मेघालय में भाजपा विरोधियों का
जो प्रदर्शन रहा उससे गुजरात में बढ़े कदम पुनः बेकफुट पर आ गए. लेकिन राजस्थान,
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लोकसभा उपचुनाव के नतीजों ने विपक्ष में फिर एक
बार जान फूंक दी लग रहा है. इन नतीजों से उत्साहित होकर कांग्रेस और शेष विपक्ष
फिर एकजुटता की ओर बढ़ने के लिए आगे आ रहे हैं. 2014 के चुनावों में मोदी के नेतृत्व